Space News: शनि ग्रह की तरह पृथ्वी के चारों तरफ मौजूद था छल्ला, मिले सबूत

शनि ग्रह के चारों तरफ छल्ला मौजूद है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि पृथ्वी के भी चारो तरफ कभी ऐसा ही रहा होगा.

'अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स' में छपे शोध के अनुसार ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एंड्रयू टॉ‍मकिंस और उनके सहकर्मियों ये सबूत दिया कि पृथ्वी के चारों ओर एक छल्ला रहा होगा.  

यह सबूत लगभग 46.6 करोड़ साल पहले बने इस छल्ला और पृथ्वी के अतीत के कई अनसुलझे पहलुओं को सुलझा सकता है.

करोड़ों साल पहले बहुत से उल्कापिंड पृथ्वी से टकराए. इसके असर के कारण पृथ्वी पर कई गड्ढे बने.

साथ ही यूरोप, रूस और चीन में चूना पत्थर के कई भंडार मिले. इसमें एक प्रकार के उल्कापिंड का बहुत ज्यादा मलबा मिला.

इन तलछटी चट्टानों में उल्कापिंड के मलबे का संकेत मिलता है कि वे आज गिरने वाले उल्कापिंडों की तुलना में बहुत कम समय के लिए अंतरिक्ष विकिरणों के संपर्क में थे. 

इस दौरान कई सुनामी भी आईं, जैसा कि अन्य असामान्य अव्यवस्थित तलछटी चट्टानों में देखा जा सकता है.

रिसर्चर्स का मानना है कि ये सभी विशेषताएं एक-दूसरे से संबंधित हैं लेकिन उन्हें आपस में क्या जोड़ता है? गड्ढों की प्रवृत्ति. हम उल्कापिंड के असर के कारण बने 21 गड्डों के बारे में जानते हैं. 

रिसर्चर्स देखना चाहते थे कि क्या उनके स्थान में कोई गौर करने वाली बात है. अतीत में पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के मॉडल का उपयोग करके उन्होंने यह पता लगाया कि जब ये सभी गड्डे पहली बार बने थे तो वे कहां थे.

उन्होंने पाया कि इस अवधि में वह भूमध्य रेखा के करीब थे. कोई भी गड्ढा ऐसे स्थानों पर नहीं है, जो ध्रुवों के करीब थे. अत: सभी गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब बने.

उन्होंने मापा कि उस समय किसी गड्ढे को संरक्षित करने के लिए भूमध्य रेखा के पास पृथ्वी की कितनी भूमि की सतह उपयुक्त थी. केवल करीब 30 प्रतिशत उपयुक्त भूमि भूमध्य रेखा के करीब थी जबकि 70 प्रतिशत उच्च अक्षांश पर थी.

वैज्ञानिकों को लगता है कि इन सभी सबूतों के लिए सबसे अच्छा स्पष्टीकरण यह है कि एक बड़ा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के साथ टकराने के दौरान टूट गया.

आप जानते होंगे कि शनि छल्लों वाला एकमात्र ग्रह नहीं है. बृहस्पति, अरुण और वरुण में भी थोड़े छल्ले हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि मंगल ग्रह के छोटे चंद्रमा, फोबोस और डेमोस, एक प्राचीन छल्ले के अवशेष हो सकते हैं. 

जब कोई छोटा पिंड बड़े ग्रह के करीब से गुजरता है, तो गुरुत्वाकर्षण के कारण वह खिंच जाता है. यदि यह काफी करीब आ जाता है, तो छोटा पिंड कई छोटे टुकड़ों और कुछ बड़े टुकड़ों में टूट जाएगा. 

ये सभी टुकड़े धीरे-धीरे बड़े पिंड की भूमध्य रेखा की परिक्रमा करते हुए एक छल्ले में विकसित हो जाएंगे. समय के साथ छल्ले में मौजूद सामग्री बड़े हिस्सों पर गिरेगी. वहां बड़े टुकड़े गड्ढे बनाएंगे.