Space News: अब मंगल ग्रह होगा बिजली से रोशन, आ गया रिसर्च का नतीजा

भविष्य में वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर बिजली बनाने का तरीका खोज लिया है. थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर्स से ऐसा हो सकता है. इसको लेकर ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की है.

स्टडी में उन्होंने दिखाया कि मामूली तापमान भी थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर्स कार्बन डाइऑक्साइड को कन्वर्ट करने में मदद कर सकता है.

स्टडी से पता चला कि अलग-अलग तापमान CO2 को उपयोगी ईंधन और रसायन में बदलने में मदद करता है. इस रिसर्च के नतीजे 'डिवाइस' जर्नल में छपे हैं.

वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं कि मंगल ग्रह के ठंडे वातावरण में ये तरकीब काम कर सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां वायुमंडल में CO2 प्रचुर मात्रा में है. 

रिसर्च के मुख्‍य लेखक, डॉ अभिषेक सोनी ने कहा, 'मंगल ग्रह के वातावरण ने इस टेक्नोलॉजी कॉम्बिनेशन के लॉन्ग-टर्म पोटेंशियल में सचमुच मेरी दिलचस्पी जगाई.'

सोनी के मुताबिक, 'वहां का वातावरण कठोर है और तापमान में बड़े बदलावों को थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर्स से न सिर्फ बिजली बनाने, बल्कि मंगल के वायुमंडल मे मौजूद CO2 को कन्वर्ट कर उपयोगी उत्पाद तैयार किए जा सकते है जो किसी इंसानी बस्ती को सप्लाई किए जा सकते हैं.'

रिसर्चर्स ने जेनेरेटर्स को दो अलग-अलग तापमान पर अटैच किया. उन्होंने पाया कि जब अंतर कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा, तब पर्याप्त करंट निकला जिससे इलेक्ट्रोलाइजर चल पाया जो CO2 को CO में बदलता है.

हालांकि ये काम चुनौतीपूर्ण है. दरअसल, मंगल ग्रह के वायुमंडल में 95 प्रतिशत CO2 है. वहीं, सतह का तापमान 20 से 153 डिग्री सेल्सियस रहता है. 

सोनी की योजना के अनुसार, मंगल पर एक बायोडोम बनाना पड़ेगा और उसे रूम टेंपरेचर पर मेंटेन करना होगा. 

डोम की सतह पर लगे थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेट बाहरी और अंदरूनी तापमान के अंतर से बिजली पैदा करेंगे. इसे ईंधन और रसायन में भी बदला जा सकेगा.