चीन के दुश्मन बन जाते Ratan Tata! जानिए कैसे भारत के आगे घुटने टेकने पर मजबूर होता चीन
चीन की मोबाइल कंपनी वीवो भारत में समय-समय पर लेटेस्ट फोन्स लॉन्च करती है. वीवो का नाम भारत में टॉप-5 मोबाइल कंपनियों में शुमार है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टाटा ग्रुप ने चीनी कंपनी वीवो का भारत में कारोबार का बड़ा हिस्सा खरीदने का प्रयास किया था. तब ऐप्पल ने इसपर आपत्ति दर्ज कराई थी. इस कारण सौदा रुक गया.
दरअसल, ऐप्पल और वीवो कंपनियों को कुछ सवाल पूछे गए, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. मामले में टाटा ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम इस खबर को गलत बता रहे हैं.'
हालांकि, अगर टाटा वीवो इंडिया का बड़ा हिस्सा खरीद लेता, तो चीन को काफी नुकसान होता. आइए बताते हैं अगर ये कंपनी टाटा के हाथ में होती, तो भारतीयों को क्या फायदा होता.
टाटा समूह भारत का है. टाटा अगर वीवो को खरीदता तो भारत में मोबाइल प्रोडक्शन बढ़ता. इससे रोजगार के अवसर बढ़ते. साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत होती.
खास बात ये है कि टाटा अपनी क्वालिटी के लिए जाना जाता है. वीवो खरीदकर टाटा अपने अनुभव व तकनीक से वीवो के प्रोडक्ट्स की क्वालिटी में भी सुधार कर सकता था.
आपको बता दें कि टाटा समूह के पास पहले से ही कई तरह के उत्पाद हैं. ऐसे में ग्राहकों के पास स्वदेशी स्मार्टफोन खरीदने का ऑप्शन बढ़ जाता.
टाटा भारतीय बाजार की बेहतर समझ है. वीवो खरीदने के बाद टाटा समूह भारतीय ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार अधिक सूटेबल प्रोडक्ट्स बना सकता था.
टाटा एक भारतीय कंपनी है. इस कारण भारतीय ग्राहकों का डेटा गोपनीयता और सुरक्षा रहता.
टाटा तेजी से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद पर काम कर रहा है. टाटा ने ऐप्पल की पार्टनर कंपनी ताइवान की विस्ट्रॉन के कारखानों को भी खरीद लिया है.
ऐसा करना टाटा के लिए बहुत बड़ी जीत थी क्योंकि अब वह अमेरिका की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ऐप्पल के सामान बनाने वाली कंपनियों में शामिल हो गई.
ऐप्पल के साथ काम करने से टाटा को न केवल भारत में बिकने वाले आईफोन बनाने का मौका मिला, बल्कि दुनिया के देशों में आईफोन बनाने का काम मिला.