The Archies Review: 'द आर्चीज़' फ़िल्म बच्चे के लिए बिल्कुल ठीक, पढ़ें समीक्षा
'द आर्चीज़' फिल्म की कहानी सन 1964 के रिवरडेल नाम के एक काल्पनिक कस्बे की है.
इसी साल भारत के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू की मौत हुई थी. ये वक्त इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनने से दो साल पहले का था.
इस कस्बे की आबादी लगभग 5,000 थी. आबादी के बीचो बीच पार्क पर होटल बनने की साजिश चल रही थी.
फिल्म में दिखाया गया है कि स्थानीय प्रशासन कारोबारियों के हाथों बिक चुका है. प्रस्ताव के पक्ष में कोई पैसे लेकर बिकता दिखता है, कोई चोट खाकर.
पूरी कहानी 7 युवा किरदारों के चारों तरफ घूमती हैं, जिनका नाम 'द आर्चीज' के कॉमिक्स से निकला है. फिल्म में इनको एंग्लो इंडियन बताया गया है.
ये फिल्म तीन मुख्य कलाकारों अगस्त्य नंदा, सुहाना खान और खुशी कपूर हैं. इसी क्रम में आर्चीज, वेरोनिका और बेट्टी के किरदार हैं.
तीनों की अदाकारी को फिल्म में कितने नंबर मिलेंगे? तो रिजल्ट में तीनों अच्छे नंबरों से पास हैं. काफी तैयारी के साथ इन्होंने कैमरे के सामने कदम रखा है.
सुहाना खान भी किसी शैतान और शरारती बच्ची की तरह पूरी तैयार होकर आई हैं. उनका किरदार लंदन रिटर्न का है.
फिल्म की कहानी बहुत साधारण सी कहानी है, लेकिन सबसे अच्छी बात ये है इसका स्कूल बेहतरीन है. देश को ऐसे स्कूलों की बहुत सख्त जरूरत है.
स्कूल में शहर के सबसे अमीर शख्स की बेटी और रेस्तरां में नौकरी करने वाला किशोर साथ पढ़ सकें. एक दूसरे से दोस्ती भी कर सकें. यही तो आदर्श समाज है.
एक अखबार भी इस कस्बे में निकलता है. फिल्म में हालात तब बदलते हैं, जब रेजी सिटी काउंसिल के अध्यक्ष का इंटरव्यू लाकर देता है पर वो छपता नहीं है.
सभी बच्चे लगभग 17 साल के हैं. लंदन से लौटी वेरोनिका को अपने पापा से बात करने के लिए पीए से टाइम लेना पड़ता है. बेट्टी और वेरोनिका दोनों पर आर्ची फिदा हैं.
लेकिन आर्चीज़ किससे प्यार करता है, उसे खुद मालूम नहीं है. फिल्म में बहुत चौंकाने वाला कुछ नहीं लगता है.
फिल्म 'द आर्चीज' की 2 कमजोर कड़ी हैं. कहानी और निर्देशन. फिल्म में मुख्य कलाकारों समेत सहायक कलाकारों का अभिनय भी दमदार है.