UK Election Results: क्या है कंजर्वेटिव पार्टी की ऐतिहासिक हार की प्रमुख वजहें,आखिर कहां चूके ऋषि सुनक?

ब्रिटेन में चुनाव के नतीजों ने किसी को हैरान नहीं किया है. ओपनियन और एग्जिट पोल के सही निकले और लेबर पार्टी को प्रचंड जीत मिली है. वहीं, कंजर्वेटिव पार्टी को करारी हार का सामना पड़ा है.

लेबर पार्टी की आंधी में कई दिग्गज धराशायी हो गए. इसमें एक नाम पूर्व पीएम लिज ट्रस का भी है. अब सवाल ये है कि कंजर्वेटिव पार्टी की इतनी बड़ी हार की वजह क्या रही.

वॉल स्ट्रीट जर्नल की मानें, तो कंजर्वेटिव पार्टी की हार का एक प्रमुख कारण उसका सत्ता में बने रहना है. दरअसल, कोई ब्रिटिश राजनीतिक दल लगातार 5 बार सत्ता में नहीं आया.

ब्रिटेन में दो मुख्य दलों को ही आम तौर पर पक्ष या विपक्ष में बैठते हैं. विपक्ष में बैठने से पहले उन्हें शसान करने का 10 से 15 साल का समय मिलता है.

बता दें कि 1979 से 1997 तक कंजर्वेटिव पार्टी और 1997-2010 तक लेबर ने शासन किया. इस बार भी ब्रिटेन चुनाव नतीजें यूके के पुराने ट्रेंड के मुताबिक आए हैं.

साल 2010 में सत्ता में आने बाद से कंजर्वेटिव को कुछ और चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसमें ग्लोबल वित्तीय संकट, जिसने ब्रिटेन के कर्ज को बढ़ाया.

ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर कर दिया. पश्चिमी यूरोप के देशों में ब्रिटन को घातक COVID-19  से जूझना पड़ा. रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजी मुद्रास्फीति का असर देखने के मिला. पार्टी में भ्रष्टाचार खुलकर नजर आया. 

घोटालों की वजह से पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन को पद छोड़ना पड़ा. उन्हें संसद से बाहर होना पड़ा क्योंकि उन पर सांसदों से झूठ बोलने का आरोप लगा.

उनकी उत्तराधिकारी लिज ट्रस 45 दिन सत्ता संभाली. इस दौरान उनकी आर्थिक नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था.

बीते कुछ साल में हजारों शरणार्थी और प्रवासियों ने नाव में सवार होकर इंग्लिश चैनल पार किया. इस वजह से सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी. ऐसे में ब्रिटेन की सीमा पर नियंत्रण खो गया.

इमिग्रेशन रोकने के लिए कंज़र्वेटिवों को कुछ प्रवासियों को रवांडा निर्वासित करने की योजना है. ये योजना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करती है.

ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा निःशुल्क है, उसका भी बुरा हाल. दंत चिकित्सा से लेकर कैंसर उपचार तक सभी तरह के इलाज के लिए लंबी वेटिंग से जूझ रही है.

समाचार-पत्र गंभीर रूप से बीमार रोगियों के बारे में समाचारों से भरे पड़े हैं, जिन्हें एम्बुलेंस के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है, फिर अस्पताल के बिस्तर के लिए और भी लंबा इंतज़ार करना पड़ता है.

सुनक ने पर्यावरण से जुड़ी कई प्रतिबंधों को हटाया. हुए गैसोलीन और डीजल से चलने वाले यात्री वाहनों की बिक्री बंद करने उत्तरी सागर में नए तेल खनन को अधिकृत करने की समयसीमा को आगे बढ़ा दिया.

आलोचकों का कहना है कि ये ऐसे समय में गलत नीतियां हैं जब दुनिया जलवायु परिवर्तन से निपटने की कोशिश कर रही है.