पहली बार भारत में कब और कहां हुआ EVM से मतदान? जानिए ईवीएम की कहानी

Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द हो सकता है. चुनाव में ईवीएम बहुत खास है. हालांकि, भारत में ईवीएम को लेकर विवाद भी खड़े होते रहे हैं.

ईवीएम पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. क्या आप जानते हैं ईवीएम का इतिहास? आइए बताते हैं कब इसका अविष्कार हुआ और भारत में कब आई. साथ ही इसका प्रयोग सबसे पहले कहां हुआ.

भारत में पहली बार चुनाव आयोग ने 1977 में सरकारी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को EVM बनाने का जिम्मा सौंपा था. साल 1979 में ECIL ने EVM का एक प्रोटोटाइप पेश किया.

इसके बाद चुनाव आयोग ने इसे 6 अगस्त 1980 को राजनीतिक पार्टियों के सामने पेश किया. EVM का अविष्कार साल 1980 में एम बी हनीफा द्वारा किया गया था. मशीन का पंजीकरण 15 अक्तूबर साल 1980 को कराया गया.

ईवीएम का प्रयोग पहली बार मई 1982 में केरल विधानसभा चुनाव में किया गया. तब EVM से चुनाव कराने का कोई कानून नहीं था. 

इसके बाद साल 1989 में रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 में संशोधन किया गया. इसमें EVM से चुनाव कराने को जोड़ा गया. हालांकि, कानून बनाने के बाद भी कई साल तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ. 

साल 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 25 विधानसभा सीटों पर EVM से चुनाव कराए गए. अगले साल 1999 में 45 लोकसभा सीटों पर भी EVM से वोट पडे. फरवरी 2000 में हरियाणा में भी 45 सीटों पर इससे वोट डाले गए. 

मई 2001 में पहली बार तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल की सभी विधानसभा सीटों पर EVM से वोट डाले गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर EVM से वोट पड़े. तब से ही हर चुनाव में सभी सीटों पर EVM से वोट डाले जा रहे हैं. 

इसके बाद साल 2004 के लोकसभा चुनाव में देश के सभी 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम (दस लाख से अधिक) का उपयोग किया गया था.

ईवीएम का इस्तेमाल मतदान के लिए किया जाता है इससे ना केवल वोटिंग होती है, बल्कि वोट भी स्टोर होते रहते हैं.

काउंटिंग वाले दिन चुनाव आयोगा EVM मशीन में पड़े वोटों की गिनती करता है.। जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं उस कैंडिडेट को विनर घोषित किया जाता है.