वृषभ संक्रांति पर करें सूर्य स्तोत्र का पाठ, होगा आपार लाभ

Vrishabh Sankranti 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव जब राशि परिवर्तन करते हैं तो उसे परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है. 

हिन्दू पंचांग की मानें तो 15 मई को सूर्य देव का गोचर वृषभ राशि में होने जा रहा है. जिसे वृषभ संक्रांति कहा जाएगा. इस विशेष दिन पर जातक सूर्य देव की उपासना कर सकते हैं.

इसके लिए कुछ मंत्रों का भी इस दिन जाप कर सकते हैं. व्यक्ति को इससे विशेष तरह से लाभ मिलेगा. आइए जानते हैं सूर्य देव को समर्पित प्रभावशाली स्तोत्र को और सूर्यदेव की पूजा विधि व लाभ के बारे में.

शास्त्रों की मानें, तो संक्रांति और रविवार के दिन अगर सूर्य स्तोत्र का पाठ किया जाए तो सकारात्मक उर्जा का संचार पूरे शरीर में होता है. 

व्यक्ति को सभी कार्यों में हमेशा सफलता मिलती है और व्यापार व आर्थिक क्षेत्र में भी लाभ ही लाभ होता है. मनुष्य सूर्य के समान ही तेजवान बनता है. 

आपको बता दें कि खरमास को मलमास भी कहते हैं. इसको लेकर ये मान्यता है कि इस माह में घर की बेटी या बहू की विदाई नहीं करनी चाहिए.

संक्रांति या रविवार के दिन जल्दी उठें और स्नान-ध्यान करें. इसके बाद तांबे के पात्र में जल लें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें. अर्घ्य देते समय मंत्र का जाप करें. 

ये है सूर्य स्तोत्र प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यंरूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी । सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।।1।। प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च । वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च।।2।।

प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं । तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।।3।। ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने: । आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।।4।।

सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात् । यत्रा नरो देवयन्तो युगानि वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।।5।। (Disclaimer: यहां दी गई बातें सामान्य जानकारी पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)