INS Arighat: भारतीय नेवी को जल्द मिलेगी तीसरी न्यूक्लियर सबमरीन, भारत बनेगा समंदर का सिकंदर
चीन की चालाकियों और चालबाजियों से निपटने के लिए भारत की नौसेना ने समंदर के सीने में ऐसा खूंटा गाड़ दिया है, जिसकी धमक और टीस बीजिंग और इस्लामाबाद में बैठे फौजी जनरलों को महसूस हुई होगी.
भारत तीन दिशाओं से समुद्र से घिरा है. हिमालय अगर भारत माता के माथे पर लगा मुकुट है. तो तीन सागर कुदरत का वो बेशकीमती तोहफा हैं, जिनके बारे में लिखने में शब्द कम पड़ जाएंगे.
भारत का कोस्टल बॉर्डर यानी तटीय सीमा करीब 7516.6 किलोमीटर है. भारत के 9 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश इन समुद्रों की सीमाओं से मिले हुए हैं.
इन समुद्रों से मिलने वाली संपदा की निगरानी भी एक चुनौती है. नौसेना और इंडियन कोस्टगार्ड को देश की समुद्री सीमाओं की हिफाजत के लिए हमेशा मुस्तैद रहना पड़ता है.
समंदर में अपने हितों की सुरक्षा और वर्चस्व की जंग में भारत ने 6 महीनों के भीतर तीन-तीन न्यूक्लियर सबमरीन पंडुब्बियों को सागर में उतार दिया है.
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन के बढ़े खतरे के मद्देनजर, भारत का ये कदम एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. भारत ने अगले छह महीनों में अपनी तीसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी को चालू करने की योजना बनाई है.
इससे परमाणु हथियारों की इस तिकड़ी के ट्रायो पावर पैक को और मजबूत किया जा सके. भारत के इस दांव से चीन और पाकिस्तान का पार पाना मुश्किल हैं.
गौरतलब है कि हाल ही में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिघात को अपने सामरिक बेड़े में शामिल किया है.
इस ट्रायो की तीसरी 'न्यूक्लियर सबमरीन' अगले साल 2025 की शुरुआत में शामिल होगी. INS अरिदमन के रूप में उसकी कमीशनिंग से पहले उसके परीक्षणों के दौर जारी हैं. अब तक के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक आए हैं.
पहली 2 परमाणु क्षमता संपन्न पनडुब्बियों की बात करें तो आईएनएस अरिदम, आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात से थोड़ी बड़ी होगी जो अधिक लंबी दूरी की परमाणु-युक्त मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है.
सूत्रों के मुताबिक INS Arighat की बात करें तो ये K-4 मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है. इन मिसाइलों की रेंज यानी मारक क्षमता 3000 किलोमीटर से अधिक है. इसके पहले नौसेना के बेड़े में शामिल INSअरिहंत जिन K-15 मिसाइलों से लैस है. इसकी क्षमता 750 किमी है.
चीन के साथ जारी सैन्य टकराव के बीच समंदर में 6 महीने में तीसरी सबमरीन की तैनाती रणनीतिक रूप से बेहद अहम होगी. ये पनडुब्बी लगातार कई महीनों तक समंदर में डूबे रहने में सक्षम होगी.
SSBN कैटिगिरी की बात करें तो इसकी ताकत असीम है. ये सुरक्षित हैं. इन्हें पकड़ने की क्षमता सबके पास नहीं है. ये दुश्मन को अपनी मौजूदगी का पता तक नहीं चलने देती है. आईएनएस अरिदमन और उसके आगे की चौथी निर्माणाधीन न्यूक्लियर सबमरीन और भी अधिक ताकतवर होगी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत अब 190 मेगावाट रिएक्टरों के साथ 13500 टन वजनी एसएसबीएन बना रहा है. हालांकि उनका निर्माण होने में अभी करीब 10 साल का वक्त लगेगा.