भोले बाबा क्यों लगाता था नीले, काले और रंगीन रंग का चश्मा, जानिए राज
हाथरस हादसे के बाद नारायण साकार विश्व हरि 'भोले बाबा' उर्फ सूरजपाल से ज्यादा चर्चा उसके कथित 'चमत्कारों' की हैं.
उसने भ्रम का मायाजाल फैला रखा था कि वो दिव्य दृष्टि से बीमारी दूर करने के साथ भूत-प्रेत का साया भी भगा देता था.
भक्तों के आगे वो अलग-अलग रंग के चश्मे लगाकर आता था. जिससे वो भक्तों के हर कष्ट दूर करने का दावा करता था.
आइए आपको बाबा के अंधविश्वास के चश्मों के बारे में बताते हैं. और क्या है इसका राज...
सूरज पाल हर मंगलवार को रंगीन चश्मा पहनता था.
बाबा दिव्य दृष्टि से भक्तों के इलाज का दावा करता था.
सूरज पाल के हर रंग के चश्मे की अलग अलग कहानी है. वो हरे चश्मे से भक्तों के भूत प्रेत उतारता था.
वहीं, नीले रंग के चश्मे से बीमारी ठीक करने का दावा किया जाता था.
इसके अलावा भूरे और काले चश्मे से जिन भक्तों के जीवन में शांति नहीं है उन्हें बाबा शांति प्रदान करता था.
भक्तों को विश्वास था चश्मा उतारते ही उन पर बाबा की दिव्य दृष्टि पड़ेगी जिससे उनके कष्ट दूर हो जाएंगे.
जबकि वही 'भोले बाबा' उर्फ सूरजपाल सिंह आम दिनों में नज़र का चश्मा लगाता था.
बाबा कम उम्र की महिलाओं के बीच खुद को भगवान श्रीकृष्ण के नए अवतार के तौर पर पेश करता था.
साकार हरि सूट बूट पहनकर, किसी अफसर की तरह महिलाओं के लिए झूले पर बैठकर एक विशेष दरबार लगाता था.
पौराणिक कथाओं में जिस तरह से इंद्र अपने दरबार में अप्सराओं का नाच करवाते थे. वैसा ही शौक बाबा साकार हरि को भी था.
वो अपने सामने महिला सेवादारों का डांस करवाता था. उसके सत्संग पंडाल में भी सेवादार महिलाओं को डांस करते हुए कई बार देखा गया.