kuwait: कुवैत में सत्ता परिवर्तन होते ही देश की राजनीति और समाज में उथल-पुथल मच गई. नए अमीर मिशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबा के कड़े फैसलों ने लोगों में चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में सरकार ने 42 हजार से ज्यादा लोगों की नागरिकता रद्द कर दी, जिससे पूरे देश में खौफ का माहौल है.
मई 2024 में अमीर ने लोकतंत्र को राज्य के लिए खतरा बताते हुए संसद को भंग कर दिया और संविधान में संशोधन का ऐलान किया. इसके बाद से सरकार ने विरोधियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया. सांसदों से लेकर आम नागरिकों तक की गिरफ्तारी तेज हो गई, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने दमनकारी करार दिया है.
नागरिकता खोने वालों में महिलाएं भी शामिल
सरकार के फैसले का सबसे ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर हुआ है, जिन्हें शादी के बाद कुवैती नागरिकता मिली थी. मुख्य रूप से वे महिलाएं जो कुवैती पुरुषों से शादी करने के बाद नागरिक बनी थीं, अब वे पूरी तरह से अधिकारहीन हो गई हैं. नागरिकता रद्द होने के बाद वे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं, बच्चों की शिक्षा और सामाजिक लाभों से वंचित हो गई हैं.
मिडिल ईस्ट की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 6 मार्च को ही 464 नागरिकों की नागरिकता कैंसिल कर दी गई. इनमें 12 लोग दोहरी नागरिकता के आरोप में और 451 लोग कथित धोखाधड़ी के वजह से नागरिकता खो बैठे. कुवैत में दोहरी नागरिकता को अवैध माना जाता है और सरकार अब इसे सख्ती से लागू कर रही है.
फैसले से बिदून समुदाय भी प्रभावित
कुवैत में पहले से ही बिदून समुदाय के लगभग 1 लाख लोग बिना किसी आधिकारिक पहचान के रह रहे हैं. अब नागरिकता रद्द किए जाने की इस नई पॉलिसी से और लोग बेनागरिक हो गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, एयरपोर्ट पर उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और उनके पिता की नागरिकता भी कैंसिल कर दी गई. सरकार इस फैसले को देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक बता रही है. सरकार ने यहां तक कि लोगों को फर्जी नागरिकों की सूचना देने के लिए एक हेल्पलाइन तक शुरू कर दी है.
खबर के अनुसार, विदेशी नागरिकों के खिलाफ अपनी मुहिम को सही ठहराने के लिए सरकार कभी-कभी ऐसा ज़ेनोफोबिक बयान देती है, जो अमेरिका और यूरोप के दक्षिणपंथी नेताओं की भाषा से मेल खाता है. मुख्य रूप से, यह तर्क दिया जाता है कि विदेशी अपराधी कुवैतियों के लिए तय उदार कल्याण योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं और उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए.
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