Elephant Killing: हाथियों को मारकर जनता को मांस बांट रही इस देश की सरकार, जानिए क्या है प्लान?

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Elephant Killing: एक अफ्रीकी देश में सूखे की वजह से इन दिनों अकाल पड़ा हुआ है. आलम यह है कि ना तो यहां खाने के लिए अनाज है और ना ही पीने के लिए पानी. इस वजह से यहां के लोग लोग भूख और प्यास से तड़प रहे हैं. लोगों की जान बचाने के लिए मजबूर सरकार अब हाथियों को मार रही है और उसका मांस जनता में बांट रही है.

खाने-पीने के गोदाम खाली

दरअसल, हम जिस देश की बात कर रहे हैं, वह अफ्रीकी देश नामीबिया है. यहां 100 सालों में अब तक का सबसे बड़ा सूखा पड़ा है. देशभर में खाने पीने के गोदाम खाली पड़े हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पिछले महीने ही नामीबिया ने अनाज के गोदाम पूरी तरीके से खाली हो गए हैं और अब देशभर में 16 फीसदी अनाज बचा हुआ है. सरकार किसी तरह जानवरों को मार-मार कर लोगों का पेट भर रही है.

जानिए अब क्या है सरकार का प्लान?

बता दें कि यहां लोगों के पास पैसे तो हैं, फिर भी उन्हें भोजन नहीं मिल पा रहा है. नामीबिया की सरकार जनता की दुर्दशा को देखते हुए खाने का प्रबंध कर रही है. फिलहाल यहां की सरकार ने पार्कों और कम्युनिटी एरिया में रखे गए 83 हाथियों को मारने का प्लान बनाया है. यही नहीं इसके अलावा नामीबिया सरकार 30 दरियाई घोड़े, 60 भैंसों के साथ-साथ 50 इंपाला, 100 ब्लू व्हाइटबीस्ट, 300 जेब्रा और 100 एलैंड को भी मारने का प्लान बनाया है. ताकि लोगों की जान बच सके.

इन जानवरों को बनाया जा रहा शिकार

नामीबिया के पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, सरकार द्वारा उन जानवरों को मारने के लिए चुना गया है जो जानवर कमजोर है. इनके लिए सरकार द्वारा पेशेवर शिकारी को बुलाया गया है, जिसका ठेका कुछ कंपनियों को दिया गया है. देश में अब तक 157 जानवरों का शिकार किया जा चुका है. इन जानवरों से 56.800 किलो मांस इकट्ठा हुआ है जो लोगों में बांटा जाएगा.

क्या जानवरों को मारना जरुरी?

जानवरों को मारकर खाने को लेकर नामीबिया का सरकार के पर्यावरण मंत्रालय का कहना है कि ऐसा करना जरूरी है, क्योंकि उनका संविधान भी कहता है कि लोगों की जान बचाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होना चाहिए.

बताते चले कि अफ्रीकी देश जांबिया, जिंबाब्वे, बोत्सवाना, अंगोला और नामीबिया में 2 लाख से भी ज्यादा हाथी रहते हैं. बीते साल सूखे की वजह से 300 से ज्यादा हाथियों को मार दिया गया था.

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