अमेरिकी सीनेट में पाकिस्तान विरोधी विधेयक पेश, भारत के लिए क्या है खास? जानें डिटेल

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

US: अमेरिकी सीनेट में एक पाकिस्‍तान विरोधी विधेयक पेश किया गया. शुक्रवार को यूएस (US) के प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रुबियो ने यह बिल पेश किया. इस विधेयक का मकसदी चीन के बढ़ते प्रभाव का निपटारा और पाकिस्तान से कथित खतरों से पार पाने के लिए भारत की सहायता करना है. सीनेट में पेश बिल में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की कथित धमकियों के लिए उसे दी जाने वाली सुरक्षा सहायता को रोकना है.

प्रस्तावित यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का दृढ़ता से सपोर्ट करता है और प्रशासन से भारत के साथ वैसा ही व्यवहार करने का अनुरोध करता है, जैसे कि वह इजरायल, जापान, दक्षिण कोरिया और नाटो सदस्यों जैसे अमेरिकी सहयोगियों के समान दर्जा रखता हो. संसद में बहस होने के बाद इस विधेयक को पारित किया जा सकता है.

रिपब्लिकन सीनेटर ने पेश किया विधेयक

विधेयक को फ्लोरिडा से रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रुबियो ने पेश किया है, जो साल 2011 से अपनी सीट पर कब्‍जा किए हुए हैं. उन्होंने 2013 में निवर्तमान राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन पर रिपब्लिकन प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने 2015 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा, कई राज्यों में प्राइमरी जीती, लेकिन 2016 में रेस से बाहर हो गए. सीनेटर मार्को रुबियो ने चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत करने का का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि नई दिल्ली के साथ रणनीतिक कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ाना जरूरी है.

अमेरिका का नाटो जैसा सहयोगी बनेगा भारत

विधेयक में भारत को ऐसे उन्नत हथियार देने  का प्रावधान भी शामिल है, जो आमतौर पर अमेरिका के करीबी सहयोगियों और नाटो सदस्यों को दिया जाता है. ऐसे में इससे पाकिस्तान की रक्षा क्षमता कमजोर हो सकता है और क्षेत्र में भारतीय आक्रामकता का जवाब देने की उसकी क्षमता भी बाधित हो सकता है.

भारत को CAATSA से मिलेगी छूट

इस विधेयक में भारत को CAATSA (प्रतिबंधों के माध्यम से अमेरिका के विरोधियों का सामना करने का अधिनियम) प्रतिबंधों से सीमित छूट देने का सुझाव दिया गया है, जो रूसी प्रभाव का सामना करने के मकसद से अमेरिकी प्रतिबंधों का एक समूह है. CAATSA प्रतिबंध रूस के रक्षा और खुफिया क्षेत्रों को लक्षित करते हैं, और इन क्षेत्रों के साथ अहम लेनदेन करने वाले देशों को द्वितीयक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. प्रस्तावित छूट भारत को अमेरिका के प्रतिबंधों का सामना किए बिना भारतीय सेना द्वारा वर्तमान में प्रयोग किए जाने वाले रूसी उपकरण खरीदने की परमिशन देगी.

चीन-पाकिस्तान का मुकाबला करेंगे भारत-अमेरिका

विधेयक में यह तर्क दिया गया है कि चीन के प्रभावों का सामना करने के लिए अमेरिका-भारत साझेदारी अहम है. नई दिल्ली के साथ वाशिंगटन के “रणनीतिक कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंध” को बढ़ाने का सुझाव दिया गया है.

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