Attack on camps in Sudan: सूडान में पिछले दो साल से गृहयुद्ध चल रहा है. इस दौरान सेना और आरएसएफ (रैपिड सपोर्ट फोर्सेस) के बीच टकराव जारी है. इसी बीच सूडान के कुख्यात अर्धसैनिक समूह ने दारफुर क्षेत्र में बेघर लोगों के शिविरों पर दो दिन तक हमला किया, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि इस हमले में मारे गए लोगों में 20 बच्चे और 9 राहतकर्मी भी शामिल हैं.
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र में सूडान की मानवीय समन्वयक क्लेमेंटाइन नक्वेता-सालमी ने बताया कि दारफुर क्षेत्र में यह हमला रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (RSF) और उनके साथ जुड़े लड़ाकों द्वारा किया गया है. उन्होंने जमजम और अबू शोरौक नाम के शिविरों और उत्तरी दारफुर प्रांत की राजधानी अल-फशर के पास एक शहर पर हमला किया.
अब तक मारे गए 24,000 से अधिक लोग
वहीं, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अल-फशर शहर अभी भी सेना के नियंत्रण में है. बता दें कि दो पहले सूडान में शुरू हुए जंग में अब तक 24,000 से अधिक लोग मारे जा चुके है, हालांकि कार्यकर्ताओं का मानना है कि असली संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है. सालमी ने कहा कि शनिवार को इन शिविरों पर दोबारा हमला हुआ है, जिसमें नौ राहतकर्मियों की मौत हो गई.
आरएसएफ ने आरोपों को किया खारिज
इसी बीच आरएसएफ ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया, खासकर जमजम कैंप को लेकर. उन्होंने इन आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताया है. आरएसएफ ने शनिवार को जारी किए गए अपने एक बयान में कहा कि एक वीडियो सोशल मीडिया पर फैल रहा है, जिसमें नागरिकों की तकलीफ दिखाई गई है, लेकिन उन्होंने कहा कि इस वीडियों को सूडानी सेना ने उन्हें बदनाम करने के लिए बनाया है.
झूठे और नकली कलाकारों का इस्तेमाल
बता दें कि सेना पर आरएसएफ ने आरोप लगाया कि वो झूठे प्रचार के लिए नकली कलाकारों और बनावटी सीन का इस्तेमाल कर रही है, जिससे कि उन्हें गलत दिखाया जा सके. इस अर्धसैनिक समूह ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करता है और सेना पर आरोप लगाया कि वह असली अपराधों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है, जो खुद उसने सूडानी जनता के खिलाफ किए हैं.
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