Bangladesh: ढाका यूनिवर्सिटी में छात्रों के एक समूह ने ‘हिन्दू स्टूडेंट्स ऑफ ढाका यूनिवर्सिटी’ और ‘बांग्लादेश यूनाइटेड सनातनी अवेकनिंग अलायंस’ के बैनर तले शुक्रवार को प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर एक साथी छात्र द्वारा हिंदू धर्म और एक देवता के बारे में की गई अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ विरोध किया.
बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, आरोपी छात्र कई बार इस तरह की टिप्पणियां कर चुका है. ऐसे में छात्रों ने आरोपी को निलंबित करने और उसके लिए कड़ी सजा की मांग की है. साथ ही भविष्य में यूनिवर्सिटी से सनातन धर्म की गलत व्याख्या को रोकने के लिए संस्थागत उपाय करने की अपील की.
प्रदर्शनकारी छात्रों का क्या है मकसद?
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी छात्रों ने साहित्यिक विश्लेषण कक्षाओं के दौरान शिक्षकों को हिंदू धर्म की गलत व्याख्या करने से रोकना और यूनिवर्सिटी के ‘ढाका बिस्सोबिद्दलॉय शिक्षार्थी संसद’ फेसबुक ग्रुप पर अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाली अपमानजनक पोस्टों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकार पर लगाया ये आरोप
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि उनके धार्मिक मूल्यों का सम्मान नहीं किया जाता है. इस दौरान उन्होंने सवाल उठाया कि जब अल्पसंख्यक धर्मों का अपमान किया जाता है तो कोई कदम क्यों नहीं उठाया जाता.
हिंदू समुदाय के घरों और मंदिरों में हुई 147 घटनाएं
बता दें कि बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद से विभिन्न अधिकार समूहों, प्रतिष्ठित नागरिकों और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने देश के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाकर की गई हिंसा की निंदा की है. वहीं, ढाका स्थित मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलिश केंद्र (एएसके) के मुताबिक, देशभर में हिंदू समुदाय के घरों, मंदिरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की कुल 147 घटनाएं होने की खबरें हैं, जिसमें करीब 408 घरों में तोड़फोड़ की गई, और आगजनी के 36 मामले शामिल हैं.
मोहम्मद यूनुस सरकार पर लग रहे कई आरोप
इसके अलावा, अल्पसंख्यक समुदाय के स्वामित्व वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की 113 घटनाएं, मंदिरों और अहमदिया संप्रदाय के मस्जिदों पर हमले की 32 घटनाएं और 92 मंदिरों में मूर्तियों को तोड़ने की 92 घटनाएं भी सामने आई हैं. ऐसे में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने और पर्याप्त सुरक्षा न दे पाने का आरोप लगता रहा है.
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