Bangladesh: बांग्लादेश हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है. भारत विरोधी संगठन उल्फा (ULFA) के प्रमुख परेश बरुआ की मौत की सजा को रद्द कर दिया गया है. बांग्लादेश के हाईकोर्ट ने चटगांव हथियार तस्करी मामले में सजा को बदलकर आजीवन कारावास करने का आदेश दिया.
इसके साथ ही कोर्ट ने एक पूर्व मंत्री सहित 6 अन्य लोगों को भी बरी कर दिया. यह मामला भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकी संगठनों के लिए 10 ट्रक हथियार और गोला-बारूद से जुड़ा हुआ है. कोर्ट के इस फैसले ने भारत की टेंशन बड़ा दी है.
परेश ने असम में उग्रवाद को काफी बढ़ावा दिया
न्यायमूर्ति मुस्तफा जमान इस्लाम और नसरीन अख्तर की पीठ ने चटगांव हथियार तस्करी मामले में प्रतिवादियों की अपील के आधार पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया. बता दें कि परेश बरुआ भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करता था. असम में भारत विरोधी गतिविधियों को मदद देता था. उस दौरान परेश बरुआ ने असम में उग्रवाद को काफी बढ़ावा दिया था.
10 ट्रक हथियार से हुआ था गिरफ्तार
मालूम हो कि साल 2004 में बीएनपी-जमात गठबंधन सरकार के समय बांग्लादेश पुलिस ने आधी रात को चटगांव में कर्णफुली नदी के किनारे जेट घाट से हथियारों से भरे 10 ट्रक जब्त किए थे. जांच में पता चला कि चीन निर्मित हथियारों की तस्करी मुख्य रूप से भारत विरोधी गतिविधियों के लिए की जा रही थी. बरामद किए गए हथियारों में 27 हजार से अधिक ग्रेनेड, 150 रॉकेट लॉन्चर, 11 लाख से अधिक गोला-बारूद, 1,100 सब मशीन गन और 11.41 मिलियन गोलियां शामिल थी.
50 लोग थे शामिल
इस घटना में परेश बरुआ, बीएनपी नेता लुत्फुज्जमां बाबर सहित कुल 50 लोग शामिल थे. इस मामले में फैसला सुनाते समय उल्फा चीफ परेश बरुआ की सजा पहले ही कम कर दी गई थी. राज्य के पूर्व मंत्री लुतफुज्जमां बाबर को रिहा कर दिया गया. दिसंबर के शुरुआत में, उन्हें एक अन्य मामले में रिहा किया गया, जिससे उनकी जान मौत की सजा से बच गई.
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