बांग्लादेश में बाढ़ ने मचाई तबाही, चावल के लिए तरस रहा पड़ोसी मुल्क! अब क्या करेगी यूनुस सरकार?

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bangladesh Flood news: बांग्लादेश में इस साल कुदरत का कहर देखने को मिल रहा है. बांग्लादेश में पिछले कुछ समय से प्राकृतिक आपदा के कारण हालात खराब हो चले हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ समय बाद यहां के लोगों को खाने के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. कुदरत का यही रूप यदि देखने को मिलता रहा तो बांग्लादेश की यूनुस सरकार को अन्य देशों से मदद मांगनी पड़ेगी.

दरअसल, इस समय बांग्लादेश के कई हिस्सों में बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है. बांग्लादेश में आई बाढ़ ने करीब 11 लाख टन चावल को बर्बाद कर दिया है. इस बात की जानकारी कृषि मंत्रालय से मिली है. पड़ोसी देश बांग्लादेश में खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं. खाने-पीने की आसमान छूती कीमतों के बीच बांग्लादेश अब चावल के लिए तरसने वाला है. यही कारण है कि सूबे की यूनूस सरकार चावल आयात करने पर जोर दे रही है. हालांकि, इसके लिए वह भारत की ओर ही मदद की उम्मीद से देखेंगे.

बांग्लादेश में बाढ़ से हाहाकार

बांग्लादेश में इस समय बाढ़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया है. बीते अगस्त और सितंबर में भारी मानसूनी बारिश के कारण ऊपरी इलाकों में मूसलाधार पानी आने से आई बाढ़ ने देश में भारी तबाही मचाई थी. रिपोर्ट्स के अनुसार बांग्लादेश में आई बाढ़ के कारण 75 से अधिक लोगों की जान गई है वहीं लाखों लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ा है. इसका असर है कि बांग्लादेश में अब चावल के दाम आसमान छूने लगे हैं. बांग्लादेश के खाद्य मंत्रालय का कहना है कि सरकार 5 लाख टन चावल का आयात करने के लिए तेजी से कदम उठा रही है. जल्द ही निजी क्षेत्र को भी आयात की अनुमति दी जा सकती है.

भारत से मदद की उम्मीद में बांग्लादेश

पिछले दिनों बांग्लादेश में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद एक अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली थी. मोहम्मद यूनुस की सरकार खाने-पीने की चीजों की कीमतों को स्थिर करने के लिए जूझ रही है, जो हाल के महीनों में लगभग 20% बढ़ गई हैं. यही मुख्य वजह है कि बांग्लादेश अपने यहां चावल का आयात बढ़ा रहा है. बांग्लादेश अब फिर से भारत के सामने हाथ फैलाने को तैयार है. बांग्लादेश को भी पता है कि भारत के बगैर वह अपने देश में चावल की कमी को नहीं पूरा कर पाएगा.

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