Bangladesh Judges: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने रविवार को भारत में नियोजित न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा की है. दरअसल इस कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी 2025 को 50 बांग्लादेशी जजों और न्यायिक अधिकारियों को मध्य प्रदेश में स्थित भारत की राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में ट्रेनिंग हासिल करना था.
बांग्लादेश के कानून मंत्रालय द्वारा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द करने के फैसले की पुष्टि की गई है, हालांकि इसके कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. वहीं, रिपोर्टो के मुताबिक, यह फैसला बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत लिया गया है.
क्या था ये कार्यक्रम
बता दें कि इस कार्यक्रम के तहत बांग्लादेश के 50 जज भारत जाकर एक दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने वाले थे, जिसमें जिला और सत्र न्यायाधीश, अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, संयुक्त जिला न्यायाधीश, वरिष्ठ सहायक न्यायाधीश और सहायक न्यायाधीश शामिल थे. वहीं, इस कार्यक्रम का पूरा खर्चा भारत सरकार के जिम्मे था. वहीं, इस कार्यक्रम के रद्द होने के पीछे दोनों देशों के बीच बढ़ रहें तनाव को भी एक संभावित कारण के रूप में देखा जा रहा है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव
2024 में बांग्लादेश में छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना की 16 वर्षों की सरकार गिर गई, जिसके बाद हसीना ने भारत में शरण ली. इसके बाद बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के सत्ता में मोहम्मद यूनुस के आने के बाद से भारत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को लेकर अपनी चिंता जताई है. कई हिंदू पूजा स्थलों और समुदायों पर हमले हुए हैं. वहीं, भारत ने हाल ही में एक हिंदू भिक्षु की गिरफ्तारी और उसे जमानत न दिए जाने को लेकर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. इन घटनाओं के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ गया है.
न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के रद्द होने का अर्थ?
जानकारों का कहना है कि न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का रद्द किया जाना भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव का संकेत देता है. पहले से ही दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से जटिल संबंध रहे हैं, और बांग्लादेश का यह फैसला इस ओर इशारा करता है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपनी राजनीतिक दिशा में बदलाव ला रही है, खासकर भारत से दूरी बनाकर.
न्यायपालिका और द्विपक्षीय सहयोग पर असर
दरअसल, ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम देशों के बीच कानूनी विशेषज्ञता साझा करने और द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के साधन के रूप में देखे जाते हैं. लेकिन बांग्लादेश द्वारा इस कार्यक्रम को रद्द करने से न्यायिक आदान-प्रदान और दोनों देशों के बीच अन्य सहयोगात्मक प्रयासों पर असर पड़ सकता है.
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