Bangladesh-Malaysia: बांग्लादेश ने मलेशिया से मांगी मदद, रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजना है मकसद

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bangladesh-Malaysia: बांग्‍लोदश में तख्‍तापलट के बाद से पहली बार किसी विदेशी नेता ने बांग्‍लादेश की यात्रा की है. दरअसल, हाल ही में मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने पहली राजकीय यात्रा के दौरान ढाका में यूनुस से मुलाकात की. ऐसी करीब 11 वर्षो बाद हुआ है जब मलेशिया का कोई नेता बांग्‍लादेश की यात्रा पर आया हो.

मलेशिया अगले वर्ष दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन ‘आसियान’ की अध्यक्षता संभालेगा. इस बात की अपील अनवर इब्राहिम के बांग्‍लादेश यात्रा के दौरान ही की गई. दरअसल, आठ अगस्त को मुहम्‍मद यूनुस ने पदभार संभालने के बाद बांग्लादेश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सुधारों और प्रयासों का वादा किया है.

यूनुस ने मलेशियाई पीएम से मांगी मदद

वर्तमान में बांग्लादेश में 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं, जो म्यांमार की सेना द्वारा की गई हिंसा से बचकर भागे हैं. हालांकि वो लंबे समय से सुरक्षित घर वापसी की मांग भी कर रहे हैं. वहीं, दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद यूनुस ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उन्होंने आसियान में रोहिंग्या प्रत्यर्पण मुद्दे को उठाने में मलेशियाई प्रधानमंत्री से मदद मांगी है.

इन मुद्दों पर हुई वार्ता

यूनुस ने कहा कि मलेशिया इन मामले में हमारा समर्थन करेगा. इस बात का समाधान हमें यथाशीघ्र करना होगा. साथ ही उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने और अपने मुस्लिम बहुल देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के साथ-साथ राजनीतिक सहयोग, निवेश, सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों पर भी चर्चा की.

मलेशिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

यूनुस ने कहा कि इस मुलाकात के दौरान उन्होंने कृषि, ऊर्जा, शिक्षा, सेमी कंडक्टर उद्योग और संपर्क जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों की खोज की आवश्यकता पर बल दिया. रोहिंग्या शरणार्थी संकट के समाधान में आसियान को शामिल करने के साथ ही बांग्लादेश इस समूह के देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए भी इच्छुक है. हालांकि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में बांग्लादेश दक्षिण एशिया में मलेशिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसका कुल व्यापार 2.78 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था.

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