Bangladesh News: नई सरकार के गठन के बाद से बांग्लादेश भारत के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैंं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बार-बार भारत को चिढ़ाने वाला काम कर रही है. इसके पीछे की वजह भारत सरकार द्वारा शेख हसीना को शरण देना है. क्योंकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में शामिल लोग और उनके समर्थक शेख हसीना के धुर विरोधी हैं, लिहाज़ा शेख हसीना की मदद के चलते ये लोग भारत के खिलाफ भी नज़र आ रहे हैं.
पाकिस्तान के साथ बढ़ रही नजदीकियां
दरअसल, मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली सरकार दिन ब दिन कुछ ऐसे फैसले कर रही है जिससे भारत की चिंता बढ़ सकती है. पहले सरकार की ओर से हसीना सरकार में हुए MoU की समीक्षा करने की बात कही गई वहीं अब बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ नज़दीकियां बढ़ा रहा है. हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने मोहम्मद यूनुस से फोन पर बात की थी और दोनों देशों के लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया था.
IT मंत्री नाहिद इस्लाम का बड़ा बयान
इधर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के बॉस्डकास्टिंग और IT मंत्री नाहिद इस्लाम ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने ढाका में पाकिस्तानी राजदूत के साथ बैठक के दौरान कहा कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ 1971 के मुक्ति संग्राम के मुद्दे को सुलझाना चाहता है और एक लोकतांत्रिक दक्षिण एशिया सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना चाहता है.
जानिए कौन है नाहिद इस्लाम
ज्ञात हो कि हसीना सरकार में पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्ते कुछ खास नहीं थे, खासकर जब शेख हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं पर 1971 युद्ध को लेकर वॉर क्राइम के आरोप लगाए. बांग्लादेश की नई सरकार के मंत्री नाहिद इस्लाम उन छात्र नेताओं में से एक हैं जिन्होंने शेख हसीना सरकार के खिलाफ आरक्षण विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था. पाकिस्तान को लेकर नाहिद इस्लाम का यह बयान अंतरिम सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और बांग्लादेश में पाकिस्तान उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ के बीच बैठकों के बाद आया है.
1971 में क्या हुआ था?
बता दें कि 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से से अलग होकर बांग्लादेश स्वतंत्र देश बना. शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान इस आज़ादी के संघर्ष के हीरो थे. पाकिस्तानी सेना पर इस क्षेत्र में अत्याचार के आरोप लगते रहे, आखिरकार भारत की मदद से बांग्लादेश को आज़ादी के संघर्ष में कामयाबी मिली. इस संघर्ष में करीब 30 लाख लोग मारे गए थे.