Bangladesh: यूनुस सरकार के खिलाफ भी प्रदर्शन, सड़क पर उतरे आदिवासी, जानें क्या है मामला

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bangladesh Tribal Protest: मोहम्‍मद यूनुस की सरकार बनने के बाद भी बांग्‍लादेश में सामान्‍य स्थिति नहीं है. यूनुस सरकार के खिलाफ भी लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं. बांग्‍लादेश के आदिवासी समुदाय के लोगों ने देश में एक बड़ी विरोध रैली की है. प्रदर्शन को समुदाय के बड़े नेताओं- रिपुल चकमा, विकास त्रिपुरा और मंगसाई मार्मा ने लीड किया है. भेदभाव-विरोधी पहाड़ी छात्र आंदोलन ने आदिवासी छात्रों के तरफ से यूनुस सरकार के समक्ष आठ सूत्रीय मांगों का एक चार्टर रखा है.

सरकार के सामने रखी आठ सूत्रीय मांग

मोहम्मद यूनुस सरकार के सामने रखी गई आठ सू‍त्रीय मांगों में- आदिवासियों के लिए पहली और दूसरी श्रेणी की सरकारी नौकरियों समेत सभी ग्रेड में 5 फीसदी आदिवासी कोटे की मांग अहम है. इसके साथ ही आदिवासियों को संवैधानिक स्वायत्तता और एनसीटीबी पाठ्यपुस्तकों में आदिवासियों के इतिहास और संस्कृति पर अध्याय को शामिल करने की मांग है.

वोटर लिस्‍ट को भी अपग्रेड करने की मांग

सीएचटी समझौते के प्रावधानों के मुताबिक, वोटर लिस्‍ट को अपग्रेड करने के बाद हिल डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के चुनाव होने चाहिए. इसके अलावा, जिला परिषद अध्यक्षों और सदस्यों के भ्रष्टाचार की जांच की जाएं और उनके खिलाफ उचित एक्‍शन लिया जाए. इसके अलावा आदिवासियों की भूमि के स्वामित्व का समाधान सीएचटी समझौते के मुताबिक किया जाना चाहिए और 1900 अधिनियम विनियमों को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए.

मोहम्‍मद यूनुस के सामने चुनौती

आदिवासियों की मांग है कि क्षेत्र में स्थायी शांति बनाए रखने के लिए तीन पहाड़ी जिलों में लोकतांत्रिक माहौल बनाने के लिए कानून का शासन स्थापित किया जाना चाहिए. सीएचटी में खेल निकायों में भर्ती आदिवासियों के बीच से की जानी चाहिए. सीएचटी में शिक्षण संस्थानों में आदिवासियों की शिक्षा व्यवस्था उनकी अपनी मातृभाषा में सुनिश्चित करके शिक्षकों की नियुक्ति की जानी जाएं और सार्वजनिक और निजी अधिकारियों के लिए दंड क्षेत्र के तौर पर सीएचटी का उपयोग बंद किया जाए. मालूम हो कि बांग्‍लादेश में भारी प्रदर्शनों के वजह से शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद मोहम्‍मद यूनुस ने देश की कमान संभाली है. ऐसे में उनके सामने इस मामले को ठीक से संभालने की चुनौती है.

ये भी पढ़ें :- सबसे बड़े श्रमिक संघ ‘टीमस्टर्स’ ने उठाया बागी कदम, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में आया दिलचस्प मोड़

 

More Articles Like This

Exit mobile version