Bangladesh: शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भी दिन प्रतिदिन उनकी और गठबंधन पार्टियों की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही है. उनकी पार्टी आवामी लीग और गठबंधन पार्टियों के नेताओं के खिलाफ अंतरिम सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है. इस बीच अब उपद्रवियों ने भी ढाका में जातीय पार्टी के केंद्रीय कार्यालय को निशाना बनाया.
इस दौरान उद्रवियों ने पहले तो कार्यालय में तोड़फोड़ की और फिर उसे आग के हवाले कर दिया. बता दें कि 15 वर्षों तक बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी ने शासन किया, लेकिन इस साल अगस्त के महीने में उन्हें एक छात्र आंदोलन का सामना करना पड़ा,इस आंदोलन ने वहां की पूरी राजनीति में ही भूचाल ला दिया, जिसका परिणाम ये हुआ कि आखिर में शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश को छोड़ना पड़ा.
बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?
दरअसल, बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी और इसके बाद से ही वहां आरक्षण व्यवस्था लागू है. इसी के तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. इसी प्रकार बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कुल 56 प्रतिशत आरक्षण था और इसी आरंक्षण को खत्म करने के लिए साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने प्रदर्शन किया था.
हिंसा में तब्दील हुआ विरोध प्रदर्शन
कई महीनों तक चले इस विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का ऐलान किया था, लेकिन बीते 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया. हालांकि वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा, जिससे नाराज छात्रों ने एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ और बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया.
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