Violence in Bangladesh: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. आरक्षण को लेकर जारी प्रदर्शन अब हिंसा में बदल गई है. पुलिस और प्रदर्शनकारियों में जमकर झड़प हो रही है. इस हिंसा में अब तक 6 की मौत हो चुकी है. वहीं, सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं. वहीं, आज गुरुवार को छात्रों ने देशव्यापी बंद का ऐलान किया है. बांग्लादेश में हो रहे इस हिंसक प्रदर्शन में पाकिस्तानी कनेक्शन भी सामने आया है.
पाकिस्तान कर रहा फंडिंग
दरअसल, बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार का कहना है कि विपक्षी दलों की सह पर यह प्रदर्शन हो रहा है. विपक्षी दलों से जुड़े छात्र संगठन इस प्रदर्शन में शामिल हैं. ये सभी विपक्षी दल ISI के संपर्क में हैं. पाकिस्तानी एजेंसी ISI मुक्तियोद्धाओं के खिलाफ माहौल बनाने के लिए विपक्षी दलों को फंडिंग कर रहा है. बांग्लादेश सरकार ने विरोध प्रदर्शन करने वालों की तुलना ‘रजाकार’ से की है, जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेना का साथ दिया था.
बता दें कि बांग्लादेश के युवा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का विरोध कर रहे हैं. वे सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्हें रोकने के लिए सुरक्षाबल भी एक्टिव हैं. इस प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 4 छात्र भी हैं. इस प्रदर्शन के दौरान हुए मौत पर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दुख जताया है. साथ ही उन्होंने मामले में एक न्यायिक जांच समिति गठित करने की बात कही है.
जानिए बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था
ज्ञात हो कि बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों को वरीयता दी गई है. उन्हें 30 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है. इसके बाद महिलाओं को 10 फीसदी दिया गया है. वहीं, जातीय अल्पसंख्यकों को 5 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि एक प्रतिशत विकलांगों के लिए नौकरियां आरक्षित हैं. लेकिन उनका विरोध स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के वंशजों को लेकर है. इसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. बताते चलें कि बांग्लादेश में कुल 56 फीसदी आरक्षण है.