Bangladesh Voilence: बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद से ही प्रदर्शनकारियों को जेल से रिहा किए जाने की सिलसिला जारी है. इसी बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकर्ता निजामुद्दीन मिंटो और जाकिर हुसैन को बुधवार को ढाका सेंट्रल जेल से रिहा किया गया.
बता दें कि मिंटो ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करते हैं, जबकि जाकिर केबल व्यवसाय में हैं. मिंटो ने ढाका के उन भयावह दिनों को याद करते हुए कहा कि “22 जुलाई की सुबह सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों का एक ग्रुप हमारे कमरे में घुस आया और मुझ पर और मेरे दोस्त जाकिर पर पिस्तौल तान दी. उसमें से एक ने बताया कि हमें गिरफ्तार कर लिया गया है और वे हम दोनों को मार देंगे.
चारों ओर 18-20 हथियारबंद सीआईडी कर्मी
उन्होंने कहा कि हमने कई पुलिसकर्मियों को मार डाला है, इसलिए वे ऐसा करेंगे. इसके बाद हमें कमरे से बाहर निकाला गया और 14 सीटों वाली बस में ठूंस दिया गया. बस के अंदर घुसते ही उन्होंने हमें हथकड़ी लगा दी और कुछ गैजेट से बिजली के झटके दिए, और प्रदर्शनकारियों के बारे में जानकारी मांगी. बस मं हमारे चारों ओर 18-20 हथियारबंद सीआईडी कर्मी थे. इसके बाद हमें बुरीगंगा नदी पर बने पोस्टोगोला पुल पर ले जाया गया और रेलिंग पर खड़े होने को कहा गया. इस दौरान हमें दो विकल्प दिए गए- या तो कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने में उनकी मदद करें या गोली खा लें.
उस वक्त हमने कहा कि हम सहयोग करेंगे, जिसके बाद हमें ढाका के मालीबाग में सीआईडी मुख्यालय ले जाया गया और एक कोठरी में रखा गया, वहां पांच अन्य लोग थे. हमसे दिन में तीन बार पूछताछ की जाती थी, इस दौरान वे हमारे साथ मारपीट करते थे, और आंदोलन के बारे में जानकारी निकालने की कोशिश करते थे.”
‘4 दिनों की यातना के बाद भेज दिया गया जेल’
मिंटो ने आगे कहा कि “चार दिनों की यातना के बाद, हमें अदालत ले जाया गया और ढाका सेंट्रल जेल भेज दिया गया. इसके बाद 5 अगस्त से हमें बाहरी घटनाओं के बारे में जानकारी मिलनी शुरू हुई. उस वक्त हमें पता चला कि शेख हसीना देश छोड़कर भाग गई हैं. अगली सुबह, हमें बताया गया कि हमें रिहा कर दिया जाएगा.”
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