बांग्लादेश में अस्थिरता के बाद बंगाल की खाड़ी में वर्चस्व की जंग, कब्जे की कोशिश में चीन-अमेरिका

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Bangladesh: अगस्त की शुरुआत में बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से देश लगातार अराजकता की चपेट में है. वहीं, पूर्व पीएम शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने बंगाल की खाड़ी में दबदबा कायम करने के लिए पैंतरे आजमाने शुरू कर दिए हैं. अमेरिका और चीन बंगाल की खाड़ी के पानी पर नजर जमाए हुए हैं. बता दें कि पहले ही पूर्व पीएम शेख हसीना बांग्‍लादेश में राजनीतिक उथल पुथल में अमेरिका का हस्‍तक्षेप और सेंट बंगाल की खाड़ी में स्थित सेंट मार्टिन द्वीप पर उसकी दिलचस्पी का जिक्र कर चुकी हैं. हालांकि चीन को आलोचना का सामना नहीं करना पड़ा है.

बंगाल की खाड़ी में वर्चस्व की जंग

दरअसल, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बाद अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और चीन की प्रतिद्वंद्विता बंगाल की खाड़ी तक पहुंच गई है. देश को राजनीतिक उथल-पुथल करने के लिए कट्टरपंथियों का उदय का बांग्लादेश में सतही हलचल है. लेकिन, यह अमेरिका और चीन से जुड़े हितों के टकराव की ओर संकेत करता है. मालूम हो कि बंगाल की खाड़ी के पानी पर ऐतिहासिक रूप से भारत का गहरा नियंत्रण रहा है. वहीं, अब चीन और उसके विस्तारवादी रवैये को कंट्रोल करने के लिए अमेरिका इस क्षेत्र में अपना वर्चस्‍व कायम करना चाहता है.

अमेरिका के लिए बंगाल की खाड़ी में मौका

बांग्लादेश में राजीतिक अस्थिरता ने अमेरिका के लिए बंगाल की खाड़ी में प्रवेश का अवसर प्रदान किया है. मोहम्मद यूनुस के अमेरिकी सिस्‍टम से रिश्ते छिपे नहीं है. यूनुस सरकार अमेरिका के लिए उम्मीद बढ़ाई है, जिससे क्षेत्र में चीनी कूटनीति को कम किया जा सकेगा. यहां तक स्थिति अच्छी दिखाई देती है लेकिन इतिहास में भारत के साथ अमेरिका का रवैया और पाकिस्तान लिए दिल में प्‍यार आशंका के लिए मजबूत आधार भी देती है. भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्‍तों को स्थिर करने के दौरान बहुत सावधानी बरतता है. रूस के साथ भारत की ऐतिहासिक दोस्ती भी इसमें एक बड़ी वजह है.

चीन भी बिछा रहा जाल

बांग्लादेश संघर्ष में अमेरिकी दखल का चर्चा करते समय चीन की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. चीन रणनीतिक रूप से बंगाल की खाड़ी में अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने में लगा है. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिए देशों को अपने प्रभाव में लेना और फिर उनके संप्रभुता की हस्तक्षेप करना चीन की नीति है. उदाहरण के तौर पर श्रीलंका और पाकिस्तान को देखा जा सकता है. पाकिस्तान के जरिए चीन अरब सागर तक पहुंचता है. बंगाल की खाड़ी के लिए अधिकांश तटीय राज्य इसके बीआरआई विस्तारवादी जाल में फंस चुके हैं.

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