Water Cycle: धरती पर बड़ा खतरा, मानव इतिहास में पहली बार जल चक्र असंतुलित

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Global Water Cycle Balance: धरती पर जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. मानव इतिहास में पहली बार जल चक्र असंतुलित हो गया है. जल अर्थशास्‍त्र पर वैश्विक आयोग के रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस असंतुलन के चलते जल आपदा बढ़ रही है जो भविष्‍य में खाद्य उत्पादन और जीवन पर कहर बरपाएगी. बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि दशकों से विनाशकारी भूमिक उपयोग और जल कुप्रबंधन ने जल चक्र पर अभूतपूर्व तनाव डालने के लिए मानव-कारण जलवायु संकट को टक्कर दी है.

क्या है जल चक्र?

जल चक्र उस प्रणाली को कहते हैं जिसके जरिए पानी पृथ्वी के चारों ओर घूमता है. पानी जमीन पर नदियों, झीलों और पौधों के जरिए भाप बनकर ऊपर उठता है. फिर यह जलवाष्प बादलों के रूप में ठंडा होने के बाद बारिश के रूप में जमीन पर गिरने से पहले लंबी दूरी तय करता है. जल चक्र बिगड़ने के वजह से लगभग 3 अरब लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं. फसलें बर्बाद हो रही हैं और शहर डूब रहे हैं.

कार्रवाई नहीं की गई तो होंगे भयावह नतीजे

इंटरनेशल लीडर्स और एक्‍सपर्ट्स के समूह वाले जल आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि अगर तत्काल एक्‍शन नहीं लिया गया तो इसके परिणाम और भी भयावह होंगे. रिपोर्ट में पाया गया कि जल संकट वैश्विक खाद्य उत्पादन के 50 फीसदी से अधिक को खतरे में डालता है. 2050 तक देशों के सकल घरेलू उत्पाद में औसतन 8 प्रतिशत की कमी आने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं, कम आय वाले देशों में 15 फीसदी तक का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है.

मानव इतिहास में पहली बार…

आयोग के सह अध्यक्ष और रिपोर्ट के लेखक जोहान रॉकस्ट्रॉम ने कहा कि ‘मानव इतिहास में पहली बार हम वैश्विक जल चक्र को असंतुलित कर रहे हैं. सभी मीठे पानी का सोर्स बारिश है, जिस पर अब विश्‍वास नहीं किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, जल चक्र में हो रही बाधा जलवायु परिवर्तन के साथ गहराई से जुड़ी है.

बचाने का उपाय

सीएनएन ने इंग्लैंड के रीडिंग यूनिवर्सिटी में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर रिचर्ड एलन के हवाले से बताया है कि मानवीय गतिविधियां जमीन और ऊपर की हवा के ताने-बाने को बदल रही है. इससे जलवायु गर्म हो रही है. नमी और सूखा दोनों चरम की तरफ बढ़ रहे हैं. हवा और बारिश का पैटर्न बिगड़ रहा है. उन्होंने बताया कि इस संकट का समाधान केवल प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और ताप प्रदूषण में कमी करके ही किया जा सकता है.

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