Brazil religious freedom march: ब्राजील में धार्मिक असहिष्णुता को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. वहीं, रियो डी जेनेरो राज्य में रविवार को अलग-अलग धर्मों और संप्रदायों के सैकड़ों लोगों ने धार्मिक आजादी के समर्थन के लिए पैदल मार्च भी निकाला, जिसमें ब्राजील के नवनियुक्त मानवाधिकार मंत्री मैके एवारिस्तो भी शामिल रहे. रियो डी जेनेरो के कोपाकबाना बीच पर आयोजित हुए इस इवेंट में ज्यादातर लोग अफ्रो-ब्राजीलियन धार्मिक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले थे, जिनपर हाल ही में एक ईसाई समूह के लोगों ने हमला किया था.
दोगुने हुए असहिष्णुता के मामले
दरअसल, ब्राजील में लगातार 17 वर्षो से धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थन में मार्च निकाला जा रहा है. वहीं, बीते 6 सालों में रियो डी जेनेरो में धार्मिक असहिष्णुता के मामले दोगुने हो गए हैं. हालांकि इससे पहले साल 2018 से 2023 के बीच में ब्राजील सरकार ने धार्मिक असहिष्णुता के मामलों की शिकायतों में 140 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
अफ्रो-ब्राजीलियन लोगों के खिलाफ बढ़ी हिंसा
बता दें कि ब्राजील में कैथोलिक ईसाईयों की आबादी करीब 54 प्रतिशत है, वहीं अफ्रीका महाद्वीप के बाद ब्राजील में अफ्रीकी मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं जो कि अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं का समर्थन करते हैं. ऐसे में ही पिछले कुछ वर्षो से अफ्रो-ब्राजीलियन लोगों के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ी है और इसका आरोप ईसाई समुदाय के लोगों पर लगता रहा है. क्योंकि साल 1970 में यहां नियो-पेंटीकोस्टल चर्च स्थापित किए गए, जिनका मकसद लोगों में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करना था, लेकिन ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार से अफ्रो-ब्राजीलियन समुदाय के लोगों के खिलाफ धार्मिक भेदभाव और असहिष्णुता बढ़ने लगी.
ब्राजील के लिए बड़ी चुनौती है असमानता
वहीं, इस विरोध मार्च में शामिल होने वाले मंत्री एवारिस्तो ने कहा है कि देश के सामने असमानता एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में मार्च में इस तरह उनका शामिल होना बेहद ही जरूरी है. उन्होंने कहा कि जो लोग इस मार्च में शामिल हैं वह जीवन में कई चीजों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जैसे एक अच्छी नौकरी और भूख से मुक्त जीवन.
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