अभी सही समय नहीं…, BRICS देशों की साझा मुद्रा को लेकर राष्ट्रपति पुतिन का बड़ा बयान

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

BRICS 2024: रूस में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले इसके सदस्य देशों द्वारा साझा मुद्रा में व्यापार की संभावनाओं को लेकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि ब्रिक्स की साझा मुद्रा के लिए अभी समय नहीं आया है. पुतिन ने कहा कि 10 देशों का यह समूह निवेश में डिजिटल मुद्राओं के उपयोग की संभावना तलाश रहा है साथ ही भारत के साथ अन्‍य देशों के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहा है.

राष्ट्रपति पुतिन ने ब्रिक्स सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के ताने-बाने और स्वरूप में अंतर के कारण नयी आरक्षित मुद्रा बनाने में सतर्क रुख अपनाने की वकालत की. उन्‍होंने कहा की इन देशों को राष्ट्रीय मुद्राओं का इस्‍तेमाल, नए वित्तीय साधनों और स्विफ्ट के अनुरूप एक व्यवस्था के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए.

ब्रिक्स मुद्रा एक दीर्घकालिक संभावना

पुतिन ने कहा कि इस वक्‍त ब्रिक्स मुद्रा एक दीर्घकालिक संभावना है, जिसपर विचार नहीं किया जा सकता है. ब्रिक्स सतर्क रहेगा और उत्तरोत्तर काम करेगा,  धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि पश्चिम के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक गठजोड़ के जवाब में ब्रिक्स समूह की परिकल्पना की गई.

रूस में होने जा रहा है BRICS सम्मेलन

आपको बता दें कि 22 से 23 अक्टूबर को तातारस्तान के कजान शहर में 16वें वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन होना है. इस बार इस सम्‍मेलन की मेजबानी मॉस्को कर रहा है. वहीं, इस समिट में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अगले हफ्ते रूस की यात्रा करेंगे. मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शामिल होने के बाद यह समूह का पहला शिखर सम्मेलन होगा.

अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने पर जोर

इस दौरान रूसी राष्ट्रपति ने केंद्रीय बैंकों के बीच संबंध स्थापित करने और वित्तीय सूचनाओं के आदान-प्रदान की जरूरतों पर भी जोर दिया. साथ ही अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और अधिक आर्थिक स्वतंत्रता का दावा करने के लिए समूह की व्यापक रणनीति का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हमे लगता है कि अमेरिका को इसपर सोचने की जरूरत है. उन्‍होंने प्रतिबंध लगाकर रूस के साथ संबंध खराब कर लिए हैं और इसका उनपर नकारात्मक असर होता है.यही वजह है कि इस वक्‍त पूरी दुनिया सोच रही है कि क्या डॉलर का इस्‍तेमाल करना करना उचित है.

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