“क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का हो पूरा सम्मान”, BRICS में डा. एस जयशंकर ने सुरक्षा और सुधार का किया आह्वान

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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BRICS 2024: कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान का मुद्दा उठाया. इस दौरान उनका फोकस सुरक्षा के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधारों पर भी रहा. उन्‍होंने कहा कि अधिक समतापूर्ण वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए स्थापित संस्थाओं में सुधार किया जाना चाहिए.  

डॉ. जयशंकर ने कहा ब्रिक्स इस बात का सबूत है कि पुरानी व्यवस्था कितनी गहराई से बदल रही है. वास्तव में, उन्होंने नए रूप और अभिव्यक्तियाँ ग्रहण की हैं. हम इसे विकासात्मक संसाधनों और आधुनिक तकनीक और दक्षताओं तक पहुंच के रूप में देखते हैं. ऐसे में हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रहे हैं.

बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी होना चाहिए सुधार

उन्होंने कहा कि हमें एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए सबसे पहले, स्वतंत्र प्रकृति के मंचों को मजबूत और विस्तारित करके और विभिन्न क्षेत्रों में विकल्पों को व्यापक बनाकर और उन पर अनावश्यक निर्भरता को कम करना होगा, जिनका लाभ उठाया जा सकता है. यह वास्तव में वो स्‍थान है जहां ब्रिक्स वैश्विक दक्षिण के लिए एक अंतर ला सकता है.

वहीं, दूसरा स्थापित संस्थाओं और तंत्रों, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, को स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में सुधार कर सुधारा जाना चाहिए और ऐसे ही बहुपक्षीय विकास बैंकों को भी सुधारा जाना चाहिए, जिनकी कार्य-प्रणाली संयुक्त राष्ट्र की कार्य-प्रणाली जितनी ही पुरानी है.

उत्पादन और उपभोग में आ रही विविधता

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, हम इस विरोधाभास का सामना कर रहे हैं कि परिवर्तन की ताकतें आगे बढ़ने के बावजूद कुछ पुराने मुद्दे और अधिक जटिल हो गए हैं. एक तरफ, उत्पादन और उपभोग में निरंतर विविधता आ रही है. उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले राष्ट्रों ने अपने विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दी है. नई क्षमताएँ उभरी हैं, जिससे अधिक प्रतिभाओं का उपयोग करना आसान हुआ है. यह आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पुनर्संतुलन अब उस बिंदु पर पहुँच गया है जहाँ हम वास्तविक बहु-ध्रुवीयता पर विचार कर सकते हैं.

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