BRICS: दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संगठन के रूप में जाने वाले BRICS में इस साल दो नए देश जुड़ सकते हैं. वहीं साल 2023 में भी इसके 4 देश जुड़े थे जो ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात है. बता दें कि BRICS पहले पांच देशों का समूह था, जिसमें में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थें लेकिन अब से कुल नौ देशों का समूह है. BRICS से जुड़े देशों का कहना है कि इस संगठन को पश्चिमी देशों के वर्चस्व को काउंटर करने के लिए बनाया गया है.
फिलिस्तीन के पास नहीं है अपनी निश्चित सीमा
कई रिपोर्टस के मुताबिक इस साल काजान में होने वाले BRICS समिट में अजरबैजान और फिलिस्तीन को शामिल भी किया जा सकता है, जो बेहद ही चौकाने वाला है. क्योंकि ये संगठन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का संगठन माना जाता है और फिलिस्तीन के पास अपनी एक निश्चित सीमा भी नहीं है और न ही यहां की सरकार के पास आर्थिक गतिविधियों का ठीक से संचालन करने के लिए व्यवस्था है.
फिलिस्तीन आंदोलन को मिल सकती है नई रफ्तार
दरअसल, फिलिस्तीन का इस समूह में शामिल होना रणनीतिक तौर से काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि गाजा में जारी इजराइली आक्रमण के बाद 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों में से 145 ने आधिकारिक तौर पर फिलिस्तीन को आजाद राज्य का दर्जा दिया है. ऐसे में फिलिस्तीन का BRICS में शामिल होना फिलिस्तीन आंदोलन को नई रफ्तार दे सकता है.
फिलिस्तीन पर केंद्रित होगा BRICS समिट
मास्को में फिलिस्तीनी राजदूत अब्देल हाफिज नोफाल ने कहा कि रामल्लाह होने वाले शिखर सम्मेलन के बाद BRICS समूह में शामिल होने के लिए अपना आवेदन देगा. वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने BRICS समिट का पूरा एक सेशन फिलिस्तीन के लिए आयोजित किए जाने का वादा भी किया है.
अंतरराष्ट्रीय ‘संरक्षकों’ में से एक है चीन
फिलिस्तीनी राजदूत का कहना है कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास को BRIC में भाषण देने के लिए आमंत्रित करना इस बात को दर्शाता है कि गाजा पट्टी में सभी अपराधों, हत्याओं और विनाश के बावजूद, फिलिस्तीन जीना और विकसित होना चाहता है. वहीं, रूस ने गाजा में इजराइली आक्रमण की शुरुआत के बाद से कई बार खुद को फ़िलिस्तीनी मुद्दे के लिए फिलिस्तीन का पक्षधर बताया है. ऐसे में ये लग रहा है कि वे रामल्लाह के लिए सबसे स्वाभाविक अंतरराष्ट्रीय ‘संरक्षकों’ में से एक है.
रूस और अजरबैजान की बढ़ती करीबी
वहीं, हाल ही में पुतिन के अजरबैजान दौरे के दौरान अजरबैजान ने भी BRICS में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी. दरअसल, बाकू और मास्को के बीच पिछले कुछ सालों में मजबूत संबंध स्थापित हुए हैं. इसके अलावा, फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से कुछ दिन पहले ही दोनों देशों ने सैन्य सहयोग को मजबूत करने के लिए ‘अलायड इंटरेक्शन’ का ऐलान किया था.
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