Indian-Canada Row: कनाडा में हिंदू मंदिर में खालिस्तानी समर्थकों के उत्पात मचाए जाने का विवाद अभी थमा नहीं है, इसी बीच नया विवाद सामने आ गया है. ट्रूडो सरकार का खालिस्तान समर्थकों के लिए नर्म रुख देखकर स्थानीय पुलिस भी उन्हें समर्थन देने लगी है. इसकी बानगी कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर हुए हमले के बाद स्पष्ट नजर आ रही है. खालिस्तानी आतंकियों के समर्थकों पर अब तक कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया है. इस बीच अब कनाडा पुलिस हिंदुओं के साथ भेदभाव करते हुए नजर आ रही है.
सुरक्षा के बदले पैसे
दरअसल, कनाडाई पुलिस ने हिंदू संगठनों से कार्यक्रमों में सुरक्षा देने के बदले पैसा की मांग की है. हालांकि, इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है. सुरक्षा के बदले पुलिस द्वारा पैसे की डिमांड की खबर ने पूरे हिंदू समुदाय को झकझोर कर रख दिया है. कनाडा पुलिस से जुड़ा यह विवाद ऐसे वक्त में सामने आया है जब भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हैं.
70,000 डॉलर की मांग
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पील पुलिस ने हिंदू संगठनों से कथित तौर पर सुरक्षा देने के बदले 70,000 डॉलर की मांग की है. पुलिस के इस रवैये के बाद हिंदू समुदाय के लोगों में खासी नाराजगी है. इतना ही नहीं ट्रूडो सरकार पर अल्पसंख्यक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप भी लगाए जा रहे हैं. कई हिंदू संगठनों का कहना है, “हम भी तो टैक्स दे रहे हैं फिर हमारे साथ यह भेदभाव क्यों?”
दोनों देशों के बीच बढ़ रहा तनाव
हिंदू संगठनों के अनुसार, उनके कार्यक्रमों को रद्द करने के लिए कनाडा सरकार पर खालिस्तानी आतंकी दबाव बना रहे हैं. जस्टिन ट्रूडो की सरकार इस दबाव में आ रही है. दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है जब स्थानीय पुलिस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के बदले पैसे की डिमांड कर रही है. कनाडा के कई शहरों में खालिस्तानी समर्थक भारत विरोधी नारेबाजी और हिंसक प्रदर्शन करते रहे हैं, जिससे वहां के हिंदू असुरक्षित महसूस कर रहा है.
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