Chhatrapati Shivaji Maharaj: भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील के किनारे मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की एक भव्य मूर्ति स्थापित की है. ये जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट है, जहां लंबे समय से चीन के साथ तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी, लेकिन हाल ही में दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के बाद अब स्थ्िाति सामान्य हो गई है. ऐसे में भारतीय सेना का ये कदम सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक अहम प्रगति के रूप में देखा जा रहा है.
वहीं, भारतीय सेना के इस पहल का उद्देश्य छत्रपति शिवाजी के अडिग साहस और उनकी ऐतिहासिक धरोहर को सम्मानित करना है. एलएसी के निकट स्थापित की गई इस मूर्ति का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के हाथों किया गया.
लेफ्टिनेंट जनरल ने छत्रपति शिवाजी को दी श्रद्धाजंलि
बता दें कि 14 कोर को “फायर एंड फ्यूरी कोर” के नाम से भी जाना जाता है. लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने इस अवसर पर शिवाजी की रणनीतिक कुशलता और नेतृत्व को श्रद्धांजलि दी. वहीं, सेना के एक अधिकारिक बयान में कहा गया कि ये कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा.
छत्रपति शिवाजी की प्रेरणा को दर्शाती है मूर्ति
दरअसल, पैंगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के बीच साल 2020 में शुरू हुए सीमा विवाद के बाद ये स्थान सामरिक दृष्टि से खास बन गया है. हालांकि चार साल बाद 21 अक्टूबर 2024 को दोनों देशों के बीच हुए एक समझौते के तहत सैनिकों की वापसी पूरी की ली गई है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति में कमी आई है. वहीं, अब इस मूर्ति की स्थापना भारतीय सेना के संकल्प और छत्रपति शिवाजी की प्रेरणा को दर्शाती है.
देशभक्ति का प्रतीक
भारतीय सेना ने इस मूर्ति के जरिए छत्रपति शिवाजी की ऐतिहासिक धरोहर को न केवल सम्मान दिया है बल्कि उनकी सैन्य रणनीतियों और अदम्य साहस को आज के सैन्य क्षेत्र में समाहित करने का प्रयास किया है. सेना का मामना है कि ये मूर्ति आने वाली पीढ़ियों के लिए शिवाजी के विचारों और देशभक्ति का प्रतीक बनी रहेगी.
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