China Artificial Sun: अमेरिका को पछाड़ नकली सूर्य बनाने के करीब पहुंचा चीन, कर रहा जबरदस्त निवेश

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

China Artificial Sun: नकली सूर्य एक तरह का न्‍यूक्लियर फ्यूजन है, जिसको भविष्‍य की ऊर्जा के तौर पर देखा जाता है. लंबे समय से ‘नकली सूर्य’ को क्लीन एनर्जी के लिए एक विकल्प के तौर पर देखा जाता रहा है. चीन के शंघाई में एक साधारण सड़क पर एनर्जी सिंगुलैरिटी नाम का स्टार्ट-अप है, जो न्यूक्लियर फ्यूजन पर काम कर रहा है. दुनिया भर में इस तकनीक में आगे निकलने की होड़ चल रही है.

कई देश इसमें सफल हो गए हैं, लेकिन लंबे समय तक ऊर्जा को बरकरार रख पाना काफी कठिन है. खुद को पावरफुल मानने वाले अमेरिका और चीन इसमें प्रमुख हैं. लेकिन अब चीन अमेरिका को पछाड़ कर आगे निकल गया है. अमेरिकी कंपनियों और उद्योग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस क्षेत्र में अमेरिका अपनी दशकों पुरानी बढ़त खो रहा है.

चीन में कई कंपनियां क्लीन एनर्जी में… 

दरअसल, चीन में कई कंपनियां क्लीन एनर्जी में सामने आ गई हैं. फ्यूजन में महारत हासिल करना एक आकर्षण है, जो किसी भी देश को धन और वैश्विक प्रभाव दे सकता है. इसके अलावा ऊर्जा का एक बड़ा भंडार मिलेगा. तेल या गैस को जलाने के मुकाबले लगभग 40 लाख गुना अधिक ऊर्जा मिलती है. वहीं न्यूक्लियर फ्यूजन की तुलना में 4 गुना अधिक ऊर्जा मिलती है. ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिए भी फ्यूजन एनर्जी महत्वपूर्ण समाधान हो सकता है.

पानी की तरह पैसा बहा रहा चीन

फ्यूजन एनर्जी के लिए चीन की सरकार लगातार पानी की तरह पैसा बहा रही है. अमेरिकी ऊर्जा विभाग के फ्यूजन एनर्जी साइंसेज ऑफिस का नेतृत्व करने वाले जीन पॉल एलेन के अनुसार, चीनी सरकार हर वर्ष 1 से डेढ़ बिलियन डॉलर निवेश कर रही है. इसके मुकाबले अमेरिका सिर्फ 800 मिलियन डॉलर खर्च कर रहा है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, एलेन ने कहा कि मेरे लिए कितना पैसा से ज्यादा ये अहम है कि वह इसे कितनी तेजी से कर रहे हैं.’ हालांकि अमेरिकी एक्‍सपर्ट्स ने इस पर चिंता व्‍यक्‍त की है.

आगे निकला चीन

अमेरिका और चीन के प्राइवेट सेक्टर इसे लेकर आशा व्यक्त करते हैं. उनका मानना है कि भारी तकनीकी चुनौतियों के बाद भी साल 2030 तक फ्यूजन शक्ति से बिजली मिलने लगेगी. बता दें कि अमेरिका पहला देश था, जिसने 1950 के दशक से ही फ्यूजन शक्ति पर काम शुरू कर दिया था. फ्यूजन में चीन काफी देर बार एंट्री किया. साल 2015 के बाद से फ्यूजन में चीन के पेटेंट बढ़ने लगे. किसी भी अन्य देश के मुकाबले में यह काफी ज्यादा है. शंघाई में एनर्जी सिंगुलैरिटी मात्र एक उदाहरण है.

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