China: आज दुनिया भर में डायबिटीज यानी मधुमेह एक महामारी की तरह फैल रही है. यह बीमारी दुनिया के लिए चुनौती बनी हुई है. डायबिटीज के इलाज के लिए कई दवाइयां बनाई जा चुकी हैं, जिनसे इस बीमारी में काफी हद तक फायदा मिलता है लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं होती है. कई वर्षों से शोधकर्ता शोध में लगे हैं ताकि डायबिटीज का इलाज किया जा सके. ऐसे में चीनी वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का एक समूह डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है. चीन में पहली बार सेल थेरेपी से किसी मरीज का डायबिटीज ठीक हो गया है. ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ है.
चीनी वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता
शंघाई चांगझेंग हॉस्पिटल, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के तहत सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन मॉलिक्यूलर सेल साइंस और शंघाई स्थित रेनजी हॉस्पिटल के चिकित्सकों और शोधकर्ताओं की एक टीम की ये कर दिखाया है. ये रिसर्च जर्नल सेल डिस्कवरी में 30 अप्रैल को पब्लिश की गई थी. डायबिटीज तो वैसे कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से टाइप 2 कॉमन है. लगभग 90 फीसदी मरीजों को यह प्रभावित करता है. काफी हद तक यह आहार से संबंधित है और समय के साथ विकसित होता है.
इंसुलिन इंजेक्शन से मिली निजात
59 साल का एक व्यक्ति जो 25 सालों से टाइप 2 डायबिटीज के साथ जी रहा था. वर्ष 2017 में मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था, लेकिन व्यक्ति के अधिकांश पैनक्रियाटिक आईलेट ने काम करना बंद कर दिया. पैनक्रियाज का काम ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने का होता है. इसके चलते मरीज को हर रोज कई इंसुलिन इंजेक्शन लेना पड़ता था.
मरीज को जुलाई 2021 में इनोवेटिव सेल ट्रांसप्लांट किया गया. ट्रांसप्लांट के 11 सप्ताह बाद, उन्हें बाहरी इंसुलिन की आवश्यकता नहीं पड़ी. ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने के लिए मौखिक दवा की खुराक धीरे-धीरे कम कर दी गई. एक साल बाद खुराक पूरी तरह से बंद कर दी गई. ट्रांसप्लांट के बाद डायबिटीजपेशेंट से फॉलो अप लिया गया. मालूम हुआ कि मरीज का पैंक्रियाटिक आइलेट फ़ंक्शन प्रभावी ढंग से बहाल हो गया था. मरीज को अब 33 महीनों के लिए इंसुलिन से पूरी तरह निजात मिल गया है.
डायबिटीज के इलाज में एक कदम करीब
शोधकर्ताओं की टीम के मुताबिक, इस अध्ययन से डायबिटिज के लिए सेल थेरेपी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति होगी. डायबिटीज एक क्रोनिक कंडीशन है जो हमारे शरीर के तरफ से भोजन को उर्जा में बदलने के तरीके को प्रभावित करता है. हम जो खाते हैं वह ग्लूकोज में टूट जाती है और ब्लडस्ट्रीम में जाती है. ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है जो पैंक्रियाज का काम है. जब कोई डायबिटीज से ग्रसित होता है तो ये प्रणाली हाइजैक हो जाती है. या फिर शरीर पर्याप्त इंसुलिन बनाने में असमर्थ रहता है या जो भी इंसुलिन बनता है उसका प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है.
दुनिया भर के वैज्ञानिक खास तौर से मानव स्टेम सेल से आइलेट जैसी कोशिकाएं बनाकर एक विकल्प के रूप में आइलेट प्रत्यारोपण पर रिसर्च कर रहे हैं. अब दशकों बाद, चीन के वैज्ञानिकों का समूह डायबिटीज के ईलाज में एक कदम और करीब आ गया है.
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