China Dam: चीन ने भारत की सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है. इस बांध को चीन बेहद संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में बना रहा है. वहां पर भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. वो हाई सिस्मिक जोन में आता है. भारत ने चीन के बांध प्रोजेक्ट पर चिंता जाहिए की तो चीन ने अब सफाई दी है. इस प्रोजेक्ट को लेकर चीन ने कहा कि प्रस्तावित परियोजना गहन वैज्ञानिक सत्यापन से गुजर चुकी है.
बांध का नहीं पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने प्रेस वार्ता में बताया कि यारलुंग सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी) के निचले क्षेत्र में चीन द्वारा किए जा रहे जलविद्युत प्रोजेक्ट के निर्माण का गहन वैज्ञानिक सत्यापन किया गया है और इससे निचले हिस्से में स्थित देशों (भारत-बांग्लादेश) के पारिस्थितिकी पर्यावरण, भूविज्ञान और जल संसाधनों पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
चीन ने पिछले महीने दी थी मंजूरी
बता दें कि पिछले महीने, चीन ने तिब्बत में भारत के बॉर्डर के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर यारलुंग जांगबो नाम के एक बांध बनाने की परियोजना को मंजूरी दी थी। योजना के अनुसार, विशाल बांध हिमालय की पहुंच में एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा, जहां से ब्रह्मपुत्र अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में बहती है.
भारत ने जताई है चिंता
चीन के 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत वाली प्रोजेक्ट पर भारत ने चिंता जाहिर की. भारत ने प्रस्तावित बांध पर तीन जनवरी को अपनी पहली प्रतिक्रिया में चीन से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह वाले निचले इलाकों के हितों को ऊपरी इलाकों में होने वाली गतिविधियों से नुकसान ना पहुंचे. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी जारी रखेंगे और जरूरी कदम उठाएंगे.
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