China: चीन ने उइगर मुस्लिमों के लिए काम करने वाले दो कनाडाई संगठनों और इससे जुड़े 20 व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. दो संगठनों उइगर राइट्स एडवोकेसी प्रोजेक्ट और कनाडा-तिब्बत कमेटी पर बैन लगाए गए हैं. साथ ही संगठन के कर्मचारियों की सभी चल और अचल संपत्ति एवं अन्य प्रकार की संपत्तियां जब्त कर दी गई हैं.
शनिवार को लागू हुए इस फैसले के मुताबिक, प्रतिबंधित व्यक्तियों को चीन वीजा भी नहीं दिया जाएगा. हांगकांग और मकाऊ जैसे विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों समेत देश के किसी भी इलाके में उनके आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
जबावी कार्रवाई में लगा प्रतिबंध
इस महीने के शुरुआत में कनाडा ने शिनजियांग और शिजांग में तथाकथित मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देते हुए 8 पूर्व और वर्तमान चीनी अधिकारियों के खिलाफ बैन लगाए थे. कनाडा के प्रतिबंधों का चीन ने विरोध जताया था. बीजिंग ने अपने बयान में कनाडा से अपनी गलत कामों को तुरंत सुधारने का आह्वान किया.
साथ ही देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करने के लिए सभी महत्वपूर्ण कदम उठाने की कसम खाई. वहीं अब कनाडाई संगठनों के प्रति चीन का ये प्रतिबंध जवाबी कार्रवाई माना जा रहा है.
उइगर मुस्लिमों को लेकर चीन पर आरोप
कनाडा के ये संगठन लगातार चीन पर गंभीर आरोप लगा रहे थे. उनका आरोप था कि चीन ने शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ बड़े पैमाने पर शोषण किया है. लगभग एक करोड़ उइगर मुसलमानों को कथित तौर पर नजरबंदी शिविरों में रखा गया है, जहां उनसे जबरन श्रम करवाया जाता है. हालांकि, चीन ने इन आरोपों को खारिज किया है. साथ ही कहा है कि ये शिविर पुनर्वास और शिक्षा के लिए हैं.
प्रतिबंध पर संगठनों की प्रतिक्रिया
चीनी कार्रवाई के जवाब में कनाडाई कार्यकर्ता मेहमत तोहती ने कहा कि हम प्रतिबंधों को सम्मान के प्रतीक के रूप में स्वीकार करते हैं. ये हमें रोक नहीं सकते, बल्कि हमारे दृढ़ संकल्प को और मजबूत करते हैं. यह पुष्टि करता है कि हम सही रास्ते पर हैं. मेहमत तोहती ने यूआरएपी के अपने मिशन के प्रति समर्पण पर जोर दिया, जिसका उद्देश्य चीन की स्थिति पर दुनिया का ध्यान केंद्रित रखना है.
वहीं कनाडा तिब्बत कमेटी ने कहा कि यह कदम वास्तव में इस रास्ते पर बने रहने और उन नीतियों की वकालत करने के हमारे संकल्प को मजबूत करता है जो तिब्बत में चल रहे कठोर कब्जे और दमन का उचित और न्यायसंगत समाधान लाती हैं.
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