तालिबानी खतरों पर नकेल कसने की तैयारी में चीन, अफगानिस्‍तान के पास बना रहा सैन्य अड्डा

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Taliban Vs China Tajikistan Army Base: तालिबानी खतरा को देखते हुए चीन ताजिकिस्‍तान में एक सीक्रेट मिलिट्री बेस बना रहा है. यह चीनी सैन्‍य अड्डा ताजिकिस्‍तान की सरकार की मदद से अफगानिस्‍तान की सीमा के पास बनाया जा रहा है. ताजा सैटेलाइट तस्‍वीरों से इसका खुलासा हुआ है. इस सैन्‍य अड्डे का निर्माण पहाड़ों के बीच में किया जा रहा है जो 13 हजार फुट की ऊंचाई पर हैं. इस मिलिट्री बेस में निगरानी टावर बनाया गया है और दोनों ही देशों के सैनिक मौजूद हैं. इन दिनों  ताजिकिस्‍तान और चीन की सेना साथ में सैन्‍य अभ्‍यास कर रही हैं.

पिछले एक दशक से यह सैन्‍य अड्डा बनाने में लगा चीन

ब्रिटिश अखबार द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्‍तान में तालिबानी शासन के आने के बाद पैदा हुए खतरे को कुचलने के लिए चीन इस सीक्रेट मिलिट्री बेस को बना रहा है. चीन ने अफगानिस्‍तान में बहुत बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू किया है और उसे किसी भी तरह के खतरे से सुरक्षित रखने के लिए इस बेस का निर्माण कर रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन पिछले एक दशक से यह सैन्‍य अड्डा बनाने में लगा है.

हालांकि चीन या ताजिकिस्‍तान दोनों में से किसी भी देश की सरकार ने यह स्‍वीकार नहीं किया है कि मिलिट्री बेस मौजूद है. लेटेस्‍ट तस्‍वीरों में यह खुलासा हुआ है कि निर्माण कार्य बहुत तेजी से हो रहा है. सैन्‍य अड्डे तक सड़कें भी बनाई जा रही हैं. यह मिलिट्री बेस सोवियत संघ के सैन्‍य चौकी का विस्‍तार है.

भारत की तरह अफगान सीमा पर सैन्‍य तैयारी कर रहा चीन

चीन इस सैन्‍य अड्डे का निर्माण ऐसे समय में करवा रहा है जब वह भारत समेत सभी सीमाओं पर अपना तेजी से विस्‍तार कर रहा है. भारत और चीन के बीच गलवान में हिंसा हो चुकी है. यह भी चिंता खाए जा रही है कि चीन यह अन्‍य पड़ोसी देशों के साथ कर सकता है. वह भी तब जब उसने ताजिकिस्‍तान के साथ सैन्‍य संबंध मजबूत किए हैं जो अब तक रूस को अपने आर्थिक और सैन्‍य भागीदार के तौर पर देखता था, लेकिन अब वह यूक्रेन युद्ध में बुरी तरह से फंस चुका है.

अफगानिस्‍तान में तालिबान की सत्‍ता आने के बाद तजाकिस्‍तान से टकराव बढ़ गया है. दोनों देशों के बीच 8 सौ मील लंबी सीमा लगती है. ऐसे में चीन ताजिकिस्‍तान को गोला बारूद और तकनीक दे रहा है ताकि सीमा को सुरक्षित रखा जा सके. ताजिकिस्‍तान मामलों के विशेषज्ञ राजनीति विज्ञानी परविज मोल्‍लोजोनोव ने कहा कि एक खालीपन बन गया था और अब इसे चीन ने भर दिया है. अफगानिस्‍तान में हालात खराब होने के बाद चीन ने ताजिक सरकार की चिंताओं का इस्‍तेमाल किया और यह सैन्‍य अड्डा का निर्माण कराया. परविज ने बताया कि दोनों देशों का कुछ लंबे अवधि का प्‍लान भी हो सकता है जिसे वे सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं.

चीन को फॉलों कर रहा है ताजिकिस्‍तान

ड्रैगन ने सबसे पहले तालिबान के राजदूत को मान्‍यता दी थी लेकिन अब बीजिंग तेजी से दुनियाभर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है. चीन चाहता है कि वह उइगर मुस्लिमों पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण बनाए रखे. उइगर मुस्लिम लगातार चीन के दमन के खिलाफ हैं. वहीं चीन मध्‍य एशिया और यूरोप में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. ताजिकिस्‍तान चीन के साथ दोस्‍ती करके वही रणनीति अपनाना चाहता है जो चीन ने उइगरों के साथ किया है. ताजिकिस्‍तान ने पिछले महीने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था.

उसे अतिवाद का डर सता रहा है. साथ ही लंबी दाढ़ी को पुलिस कटवा रही है. सैकड़ों मस्जिदें बंद कर दिए गए हैं. ताजिकिस्‍तान में बहुत बड़े पैमाने पर चीन का निर्माण कार्य चल रहा है और इसे चीनी अंजाम दे रहे हैं. विश्‍लेषकों के मुताबिक, ताजिकिस्‍तान में एक दिन बड़े पैमाने पर चीनी सेना की उपस्थिति होने की संभावना है. इससे ताजिकिस्‍तान में चीन का पूरा नियंत्रण भी हो सकता है.

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