तिब्बती लारुंग बौद्ध अकादमी पर चीन की सख्त निगरानी, तैनात किए 400 सैनिक, क्या है बीजिंग का प्लान?

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

China: चीन दुनिया के सबसे बड़े तिब्बती बौद्ध अध्ययन केंद्र, लारुंग गार बौद्ध अकादमी की किलेबंदी कर रहा है. धार्मिक गतिविधियों पर कड़ी निगरानी के लिए चीन ने 400 सैनिक और कई हेलीकॉप्‍टर तैनात किए हैं. शुक्रवार को सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) ने इसकी जानकारी दी. ये पहली बार नहीं है जब चीनी सरकार तिब्बत में इस तरह से शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है. ये इस दिशा में एक नया कदम है. चीनी सरकार अगले साल कठोर नियम लागू करने की योजना बना रही है.

सख्‍त नियम लागू करने वाला है चीन

रिपोर्ट के अनुसार, चीन सरकार अगले साल से कार्जे के सेरथर काउंटी में स्थित इस बौद्ध संस्थान पर सख्त नियम लागू करने की सोच रही है. इन नियमों के तहत, भिक्षुओं और भिक्षुणियों के रहने की अवधि 15 वर्ष तक सीमित होगी. यहां धार्मिक आस्था के तहत आने वाले लोगों को अधिकारियों के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. चीन की मठ में भिक्षुओं और भिक्षुणियों की संख्या भी कम करने का विचार है.

तिब्‍बती बौद्ध धर्म के भविष्‍य पर बढ़ी चिंता

लारुंग गार में भिक्षुओं और भिक्षुणियों की संख्या कम करने के चीन के निर्णय से तिब्बती बौद्ध धर्म के भविष्य पर चिंता बढ़ गई है. यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध के तौर पर देखा जा रहा है. विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है कि बौद्ध भिक्षुओं के साथ भी उसी तरह का दमन का बर्ताव हो सकता है, जैसा कि उइगुर मुस्लिमों के साथ किया जा रहा है. सीटीए ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है.

चीन की विशेष रणनीति का हिस्सा

एक्‍सपर्ट का मानना है कि यह चीन की धार्मिक गतिविधियों पर शिकंजा कसने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. लारुंग गार में तैनात सैनिकों और हेलिकॉप्टरों की संख्या चिंता का विषय है. यह तैनाती दर्शाता है कि चीन स्थिति को कंट्रोल करने के लिए कितना गंभीर है. वहीं चीनी सरकार का कहना है कि ये कदम क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए है. मालूम हो कि चीन तिब्बत को अपना अभिन्न अंग मानता है, जबकि कई तिब्बती अधिक स्वायत्तता या स्वतंत्रता की वकालत करते हैं.

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