इस देश के कॉलेजों में पढ़ाया जाएगा लव एजुकेशन, जानें क्यों लिया गया फैसला

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Love Education in China Colleges: पिछले कई दशकों से अधिक जनसंख्या से परेशान चीन अब घटती आबादी से तंग आ चुका है. चीन में युवा शादी करने से बच रहे हैं और बच्‍चा पैदा करने में भी दिलचस्‍पी नहीं दिखा रहे हैं. ऐसे में देश की आबादी तेजी से घट रही है, जो चिंता का विषय बन गई है. इसलिए अब चीनी सरकार ने कॉलेजों में लव एजुकेशन शुरू करने का फैसला किया है.

ये पाठ्यक्रम छात्रों को रोमांटिक रिश्तों को बेहतर ढंग से समझने के लिए बनाए गए हैं. कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अब छात्र-छात्राएं एक-दूसरे से प्यार करना सीखेंगे. लव एजुकेशन शुरू करने के पीछे रोमांटिक रिलेशनशिप, शादी और बच्चे पैदा करने पर सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है.

इस वजह से लिया गया फैसला

चीनी मीडिया के मुताबिक, देश की गिरती जन्म दर को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से लव एजुकेशन शुरू करने का आह्वान किया है. ताकि कॉलेज स्‍टूडेंट्स प्रजनन क्षमता में गिरावट को रोक सकें. चीन की राज्य परिषद ने पिछले महीने यानी नवंबर में स्थानीय सरकारों से उचित उम्र में बच्चे पैदा करने और शादी को बढ़ावा देकर आबादी में गिरावट का मुकाबला करने का आग्रह किया था.

लव मैरिज के प्रति बदला छात्रों का दृष्टिकोण

दरअसल, चीनी कॉलेज के छात्रों को रोमांटिक रिश्तों में कोई दिलचस्पी नहीं रही है. लव मैरिज के प्रति छात्रों का दृष्टिकोण बहुत बदल गया है. चाइना पॉपुलेशन न्यूज द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चला है कि 57 फीसदी कॉलेज छात्रों को रोमांटिक रिश्तों में कोई दिलचस्पी नहीं है. इसका मुख्य कारण रिलेशनशिप के साथ पढ़ाई को संतुलित करने में कठिनाइयों का हवाला देना है. रिपोर्ट के अनुसार, रिश्तों पर व्यापक और वैज्ञानिक शिक्षा की कमी के वजह से कई छात्रों के पास भावनात्मक संबंधों के बारे में सही विचार ही नहीं है.

तेजी के बू़ढ़ी हो रही चीन की आबादी

विश्वविद्यालयों को छात्रों को राष्ट्रीय जनसांख्यिकी, विवाह पर समकालीन दृष्टिकोण और फैमिली प्‍लानिंग पर शिक्षित करके जनसंख्या वृद्धि के लिए प्रोत्साहित करने को कहा गया है. बता दें कि चीन में पिछले साल में लगातार दूसरे वर्ष जनसंख्या में गिरावट आई है. लगभग 1.4 बिलियन लोगों के साथ दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बाद भी चीन की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है. इस जनसांख्यिकीय प्रवृत्ति से सरकारी खर्च पर दबाव पड़ने और इकोनॉमी पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है.

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