China Maldives Relations: चीन धीरे-धीरे मालदीव को अपने जाल में फंसाता जा रहा है. इसी बीच चीन ने एक और नई चाल चली है. उसने अलग-अलग दो खेपों में मिलाकर करीब 3000 मीट्रिक टन पीने का पानी गिफ्ट में दिया है. खास बात तो ये है कि यह पानी तिब्बत के ग्लेशियर से निकालकर समंदर के रास्ते मालदीव पहुंचाया गया.
चीन मालदीव को दिए गए पानी को अपनी दोस्ती बता रहा है, लेकिन इसके पीछे ड्रैगन का तिब्बत एजेंडा छिपा है, जिसमें मुइज्जू फंसते जा रहे हैं. हालांकि चीन के इस एजेंडे के बाद भारत भी सतर्क हो गया है.
तिब्बत में पानी इस्तेमाल पर पाबंदियां
दरअसल, चीन तिब्बत के जल संसाधनों का दोहन कर रहा है. खास बात तो ये है कि जब चीन तिब्बत के ग्लेशियर से पानी निकाल रहा था, उसी वक्त वह अपने देश में जल संरक्षण नियमों को लागू कर रहा था. बता दें कि जल संरक्षण नियम प्रशासनिक क्षेत्रों में पानी के इस्तेमाल की सीमाएं निर्धारित करते हैं और तिब्बत तथा चीन के अन्य भागों में जल संरक्षण कार्य को प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में एक ओर जहां इन नियमों के तहत तिब्बती लोगों पर पानी का इस्तेमाल पर पाबंदियां लगाई, वहीं दूसरी ओर चीन खुद दूसरों को पानी दे रहा था, जिसकी पोल अब खुल चुकी है.
भारत चीन को देगा उसी के भाषा में जवाब
ऐसे में ही कुछ खबरे ऐसी भी आई थीं कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों के नाम बदले हैं, क्योंकि चीन अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताता है. साथ ही उसने इसे जंगनान या दक्षिणी तिब्बत का नाम दिया है. हालांकि भारत चीन को अब उसी के भाषा में जवाब दे रहा है. ऐ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने तिब्बत में करीब 30 स्थानों के नाम बदलकर इसी तरह की रणनीति की योजना बनाई है. हालांकि, इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए सेना भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हरी झंडी का इंतजार कर रही है.
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