China Pakistan Relation : वैसे तो चीन हमेशा ही पाकिस्तान को अपना देश बताता है, लेकिन जब मदद करने की बात आती है तो चीन अपने हाथ पीछे खीच लेता है. ऐसे ही जून के शुरुआत में पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ चीन यात्रा पर गए थे, वहां उन्होंने निवेश के लिए कई प्रस्ताव पेश किए गए, लेकिन चीन ने सिर्फ एक ही प्रस्ताव को मंजूर किया. इसके साथ ही पाकिस्तान के सुरक्षा मुद्दे पर फटकार भी लगाई.
पाकिस्तान के आगे से हटा सर्वोच्च शब्द
ऐसे में ही अब ये भी खबर सामने आई है कि चीन ने पाकिस्तान की प्राथमिकता का वर्णन करने के लिए ‘सर्वोच्च’ शब्द को भी हटा दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 और 2022 तक के चीनी बयानों में चीन ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को विदेश नीति में सर्वोच्च प्राथमिकता बताया था, लेकिन 2023 और जून के महीने के बयान में चीन के लिए चीन-पाकिस्तान संबंधों को सिर्फ विदेशी संबंधों में प्राथमिकता के तौर पर लिखा गया है. अर्थात पाकिस्तान के आगे से अब सर्वोच्च शब्द को हटा दिया गया.
चीन बदल रहा अपने बयान
रिपोर्ट की मानें तो चीन ने यह फैसला काफी सोच समझकर किया है, क्योंकि पाकिस्तान में चीन के कई प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है. ऐसे में वहां चीनी इंजीनियरों पर हमला किया जा रहा है. बता दें कि इस महीने के संयुक्त बयान में कृषि, आईटी, उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे प्राजेक्ट पर निवेश बरकरार रखा गया, जबकि 2022 के संयुक्त बयान में तेल और गैस को खनन से बदल दिया गया है.
दरअसल, चीन पाकिस्तान से सशर्त काम कराना चाहता है, इसके लिए उसने शर्त के साथ कहा है कि प्रॉजेक्ट बाजार और वाणिज्यिक सिद्धांतों को पूरा करेंगे. इसक दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे निवेश पूरी तरह से व्यावसायिक होंगे, जिसमें पाकिस्तान के लिए कोई विशेष लाभ नहीं होगा.
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