यूरोप दौरे पर पहुंचे चीन के राष्ट्रपति, फ्रांस से मांगी मदद; शी जिनपिंग को सता रहा नए युद्ध का खतरा?

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Xi Jinping Europe Trip: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय फ्रांस के दौरे पर पहुंचे हैं. उनका ये दो दिवसीय फ्रांस दौरा है. इसी यात्रा के साथ उन्होंने यूरोप टूर की शुरुआत की है. विगत सोमवार को शी जिनपिंग ने फ्रांस के राष्ट्रपति इम्यूनल मैक्रों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच व्यापार, आपसी संबंधों की मजबूती और रूस यूक्रेन युद्ध और दुनिया में बढ़ रहे तनाव के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई.

इस मुलाकात के बाद एलिसी राष्ट्रपति भवन में शी जिनपिंग और इम्यूनल मैक्रों ने मीडिया को बताया कि फ्रांस को उम्मीद है कि मॉस्को पर चीन का प्रभाव रूस और यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा.

आपको ये जानना चाहिए इन दोनों देशों के युद्ध के दौरान चीन ने किसी के ओर से होने का संकेत नहीं दिया है. चीन ने रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान अपनी भूमिका न्यूट्रल रखा था.

जिंनपिंग को सता रहा कोल्ड वॉर का खतरा

दोनों देशों के प्रमुख के बीच हुई वार्ता के बाद शी जिनपिंग ने कहा दुनियाभर में बढ़ते तनाव की वजह से दुनिया एक नए शीत युद्ध की तरफ बढ़ रही है. हाल ही में EU और दूसरे देशों का झुकाव अमेरिकी हितों की तरफ ज्यादा हुआ है. हमें उम्मीद है कि दुनिया को शीत युद्ध में पहुंचने से बचाने में फ्रांस चीन की मदद करेगा. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आगे कहा कि इतिहास ने बार-बार साबित किया है कि किसी भी संघर्ष को खत्म बातचीत के जरिए ही किया जा सकता है. हम सभी पक्षों से संपर्क और बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान करते हैं.

चीन से मदद की उम्मीद

फ्रांस में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद मैक्रों ने कहा कि जंग के दौरान हथियारों की बिक्री से खुद को दूर रखने के चीन के फैसले का हम स्वागत करते हैं. इसके साथ ये भी उम्मीद करते हैं कि चीन रूस को यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए राजी करेगा.

आपको जानना चाहिए कि कुछ दिनों पहले ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने इसी महीने के आखिरी दिनों में चीन की यात्रा करने का ऐलान किया था.

फ्रांस के राष्ट्रपति इम्यूनल मैक्रों ने पिछले साल शी जिनपिंग से अपील की थी कि वे “रूस को होश में लाए”, लेकिन इस अपील पर कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया है. चीन से मैक्रो ने इस तरह की उम्मीद एक बार फिर से जताई है.

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