China: चीन पूरी दुनिया की तुलना में अधिक पवन और सौर ऊर्जा क्षमता का निर्माण कर रहा है. ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में चीन में 339 गीगावाट क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 159 गीगावाट पवन ऊर्जा और 180 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल है.
अमेरिकी थिंक टैंक ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर ने कहा है कि यह बाकी दुनिया की कुल ऊर्जा क्षमता से करीब दोगुनी है. उन्होंने बताया कि यह आंकड़ा दूसरे स्थान पर मौजूद अमेरिका से भी बहुत अधिक है. बता दें कि अमेरिका में कुल 40 गीगावाट क्षमता के ऊर्जा का ही निर्माण कर रहा है.
शोध के मुताबिक, चीन की ऊर्जा उत्पादन करने की गति ने 2030 के आखिर तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करने के वैश्विक लक्ष्य को “पहुंच के भीतर” ला दिया है, भले ही अधिक जलविद्युत के बिना भी ऐसा किया जा सके.
ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक
आपको बता दें कि चीन ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक है, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है. वहीं, जीवाश्म ईंधन से कार्बन उत्सर्जन मामले में भी चीन सबसे ऊपर है. क्योकि वह दुनिया के कुल ऊर्जा उत्सर्जन के 31 फीसदी के लिए जिम्मेदार है.
कोयले पर निर्भरता को कर रहा कम
हालांकि चीन की बढ़ती नवीकरणीय क्षमता ने कोयले की उत्पादन हिस्सेदारी को नए निचले स्तर पर पहुंचा दिया है. दरअसल चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. ऐसे में इसने 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को चरम पर पहुंचाने और 2060 तक नेट जीरो उत्सर्जन तक पहुंचने का संकल्प लिया है.
चीन के नवीकरणीय ऊर्जा उछाल की सीमाएं
बता दें कि चीन की विशाल नवीकरणीय ऊर्जा उछाल की कुछ सीमाएं हैं, जो राष्ट्रीय ग्रिड बिजली की बढ़ती मांग से निपटने के लिए भारी प्रदूषण फैलाने वाले कोयला संयंत्रों पर निर्भर है. ऐसे में चीन अपने सुदूर उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में पैदा हुई नवीकरणीय ऊर्जा को पूर्व के आर्थिक और आबादी वाले केंद्रों तक किस प्रकार पहुचाया जाएं इसपर विचार कर रहा है.
पवन और सौर ऊर्जा पर चीन का जोर
हालांकि ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर के अनुसार चीन की संयुक्त पवन और सौर ऊर्जा क्षमता इस साल कोयले से आगे निकल जाएगी. कार्बन ब्रीफ द्वारा प्रकाशित एक से अलग विश्लेषणों से पता चला है कि मई, 2024 में चीन ने अपनी कुल बिजली का 53 प्रतिशत हिस्सा कोयले से उत्पादित किया, जो देश के लिए रिकॉर्ड न्यूनतम है और मई 2023 के 60 प्रतिशत से भी कम है.
जबकि एक अन्य विश्लेषण से पता चला है कि रिकॉर्ड 44 प्रतिशत उत्सर्जन गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हुआ है, जो यह दर्शाता है कि यदि चीन की यही प्रवृत्ति जारी रही तो देश का कार्बन उत्सर्जन पिछले साल चरम पर पहुंच गया होगा.
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