China Vs Taiwan: ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है. वहीं अब ताइवान पर कब्जे के लिए चीन ने नए पैंतरे अपना रहा है. चीन अब ताइवान के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ दिया है जिससे ताइवान के होश उड़ गए है. इस युद्ध से बच पाना ताइवान के लिए मुश्किल होगा. ऐसे में अमेरिका ही चीन के इस छद्म जंग के खिलाफ ताइवान का साथ दे सकता है.
सरकारी वेबसाइटों पर साइबर हमला
बताया जा रहा है कि चीन ताइवान को अपने जद में लेने के लिए साइबर युद्ध का सहारा ले रहा है. चीन के हैकर ताइवान की सरकारी और प्राइवेट वेबसाइटों पर साइबर अटैक कर रहे हैं. इसके पीछे संदिग्ध रूप से चीन द्वारा प्रायोजित एक हैकिंग ग्रूप का हाथ बताया जा रहा है. चीनी हैकर्स के ग्रूप द्वारा ताइवान के संगठनों विशेष रूप से सरकारी, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और कूटनीति जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले संगठनों पर साइबर हमले तेज हो रहे हैं. यह दावा साइबर सुरक्षा खुफिया कंपनी ‘रिकॉर्डेड फ्यूचर’ ने किया है.
ताइवान में सत्ता बदलने के बाद और अधिक आक्रामण हुआ चीन
जनवरी में ताइवान के राष्ट्रपति चुनावों और उसके बाद प्रशासन में बदलाव के दौरान नवंबर 2023 और अप्रैल 2024 के बीच रेडजुलिएट नामक समूह ने साइबर अटैक किए. सुरक्षा चिंताओं के वजह से नाम न बताने की शर्त पर रिकॉर्डेड फ्यूचर के एक विश्लेषक ने बताया कि रेडजुलिएट द्वारा पहले भी ताइवान के संगठनों को टारगेट किया गया है, परन्तु इस तरह की गतिविधि इतने बड़े पैमाने पर पहली बार देखने को मिली है.
ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है चीन
रिपोर्ट के मुताबिक, रेडजुलिएट ने 24 संगठनों पर साइबर अटैक किया, जिसमें लाओस, केन्या और रवांडा के साथ ही ताइवान जैसी जगहों की सरकारी एजेंसियां भी शामिल हैं. इसने हांगकांग और दक्षिण कोरिया के धार्मिक संगठनों, एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी और जिबूती के एक यूनिवसिर्टी के वेबसाइट को भी हैक किया. मालूम हो कि चीन और ताइवान के बीच तनावपूर्ण स्थिति है. बीजिंग दावा करता है कि ताइवान (स्व-शासित द्वीप) उसके अधिकार क्षेत्र में है.
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