Congo: संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा बने भारतीय सैनिकों के एक समूह को कांगो में विद्रोहियों से घेर लिया है. दरअसल, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) के गोमा शहर पर M23 विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है. इस शहर में भारतीय सेना के मेडिकल कोर के 80 सैनिक और अधिकारी भी मौजूद हैं.
यहां भारतीय सैनिक यूएन शांति मिशन के हिस्से के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसी रिपोर्ट है कि विद्रोहियों ने शांति सेना के लेवल थ्री फील्ड हॉस्पिटल वाले उस कैंप को घेर लिया है, जहां ये सैनिक मौजूद हैं. खबर है कि कैंप में गोलीबारी भी हुई है और आरपीजी से भी हमला किया गया है.
विद्रोहियों को रवांडा का समर्थन
इन विद्रोहियों को पड़ोसी देश रवांडा का पूरा समर्थन है. बड़ी बात ये है कि विद्रोहियों ने केवल दो दिन की लड़ाई में 20 लाख के जनसंख्या वाले गोमा शहर पर नियंत्रण मजबूत कर लिया है. सोमवार को विद्रोहियों के हमले के वजह से गोमा की सड़कों पर शव पड़े हुए हैं, अस्पताल भरे हुए थे और यूएन शांति सैनिकों को अपने ठिकानों में शरण लेनी पड़ी.
गोमा के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कब्जा
एम23 विद्रोहियों ने मंगलवार को शहर के इंटरनेशनल एयपोर्ट पर कब्जा कर लिया, जिससे पूर्वी कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में सैकड़ों हजारों विस्थापित लोगों तक पहुंचने के लिए सहायता का मुख्य मार्ग कट सकता है. बता दें कि कांगो में दशकों से संघर्ष चल रहा है.
इस बीच अमेरिका ने रवांडा से कहा है कि वह गोमा पर M23 विद्रोहियों के कब्जे से बहुत दुखी है. मंगलवार को अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आक्रामक को रोकने के लिए अनिर्दिष्ट उपायों पर विचार करने का अपील की. साथ ही अफ्रीकी संघ ने कब्जे वाले क्षेत्रों से M23 को तत्काल वापस लेने की मांग की.
कौन हैं M23 विद्रोही
तुत्सी जनजाति के लोग M23 विद्रोहियों के ग्रुप का नेतृत्व करते हैं. इसे रवांडा का समर्थन मिला हुआ है. इस विद्रोही समुह का गठन 30 साल पहले रवांडा में हुए नरसंहार के बाद हुआ था, जिसने कांगो को हिलाकर रख दिया है. इस नरसंहार में हुतु चरमपंथियों ने तुत्सी और उदारवादी हुतु लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद कागामे के नेतृत्व वाली तुत्सी-नेतृत्व वाली सेनाओं ने हुतु चरमपंथियों को इलाके से खदेड़कर शांति स्थापित की थी.
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