Cyber attack by China: म्यांमार में हाल ही में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई थी, जबकि काफी संख्या में लोग घायल भी हुए थे. ऐसे में वहां के लोगों की मदद के लिए भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ नाम से एक राहत मिशन शुरू किया है, जिसे कुछ विदेशी ताकतें नाकाम करना चाहती हैं, जानकारों का मानना है कि इसके पीछे चीन का हाथ हो सकता है.
दरअसल, भारतीय वायुसेना ने सुरक्षा के सभी जरूरी नियमों का पालन किया है, लेकिन फिर भी जब एयरफोर्स के विमान म्यांमार में राहत सामग्री लेकर जा रहे थे तो उन्हें कई बार GPS स्पूफिंग का सामना करना पड़ा.
क्या है GPS स्पूफिंग?
बता दें कि GPS स्पूफिंग एक तरह का साइबर हमला होता है, जिसमें नकली GPS सिग्नल भेजकर किसी विमान या वाहन को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास किया जाता है. ऐसे में संदेह है कि यह हमला चीन द्वारा किया जा रहा है, जिससे म्यामांर को भारत की ओर से दी जा रही मदद में अवरोध उत्पन्न किया जा सके.
बेहद खतरनाक है जीपीएस स्पूफिंग
बता दें कि जीपीएस स्पूफिंग काफी खतरनाक साइबर हमला है इसके माध्यम से किसी भी विमान के नेविगेशन को हैक करके उसे गलत दिशा में भेजा जा सकता है. किसी भी विमान के इसके शिकार होने के बाद उसके पायलट को सही दिशा में लैंड करने के लिए सिग्नल नहीं मिल पाते है, ऐसे में विमान के साथ कोई दुर्घटना होने की संभावनाएं बढ़ जाती है.
गाजा युद्ध के बीच भी हुई ये समस्या
इस तरह की समस्याएं गाजा युद्ध के दौरान भी हुई थीं, जिसका असर भारत की सीमाओं तक देखा गया. हालांकि ऐसी स्थितियों में पायलट्स पुराने समय की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि मैग्नेटिक कंपास और अन्य पारंपरिक उपकरण, जिससे विमान को सुरक्षित तरीके से लैंड किया जा सके.
रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय डिफेंस सूत्रों ने बताया कि 29 मार्च को म्यांमार में भूकंप के बाद जब भारत ने वहां सहायता भेजनी शुरू की तो म्यांमार के हवाई क्षेत्र में कई विमानों को जीपीएस स्पूफिंग और हस्तक्षेप की समस्या का सामना करना पड़ा. हालांकि अभी तक से स्पष्ट नहीं हो सका है कि ये अटैक किससे तरफ से किए गए थे और इस दौरान म्यांमार भेजे गए भारतीय वायुसेना के विमान प्रभावित हुए या नहीं, लेकिन ज्यादातर भारतीय विमानों ने जीपीएस स्पूफिंग की समस्या रिपोर्ट की है.
किसी भी कठिनाई से निपटने के लिए तैयार रहे पायलट
उन्होने बताया कि इस तरह की समस्याएं चार या पांच अलग-अलग उड़ानों में आईं. इस दौरान पहले विमान में जीपीएस स्पूफिंग की समस्या का सामना करने के बाद बाकी विमानों के पायलटों को इसके बारे में जानकारी दी गई, जिससे की वो म्यांमार में उड़ान भरते वक्त किसी भी कठिनाई से निपटने के लिए तैयार रह सकें.
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