खतरे में है लोकतंत्र… IIDEA ने दुनियाभर में डेमोक्रेसी कमजोर होने पर जताई चिंता

Raginee Rai
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Democracy: लोकतंत्र को बढ़ावा देने वाले संगठन इंटरनेशनल इंस्‍टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्‍टोरल असिस्‍टेंट (IIDEA) ने दुनियाभर में लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को लेकर दर्ज की जा रही गिरावट पर चिंता जताई है. दरअसल दुनियाभर में लगातार 8वें साल डेमोक्रेसी में गिरावट दर्ज की गई है. इसलिए ये बिल्‍कुल हकीकत है कि दुनियाभर में लोकतंत्र खतरे में है. IIDEA ने बताया है कि पिछले कुछ सालों में और वोटिंग में गिरावट आई है जिससे दुनियाभर में डेमोक्रेटी कमजोर हो रहा है.

मंगलवार को IIDEA ने कहा कि पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में विश्वसनीय चुनावों और संसदीय निगरानी में सबसे खराब गिरावट आई थी, जो सरकारी धमकी, गलत सूचना, विदेशी हस्तक्षेप और प्रचार के दौरान एआई इंटेलिजेंस के दुरुपयोग के वजह से हुई थी.

औसत मतदान प्रतिशत में गिरावट

संगठन के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में औसत वोटिंग में गिरावट आई है. साल 2008 में औसत वोटिंग 65.2 प्रतिशत थी, वहीं साल 2023 में घटकर 55.5 प्रतिशत हो गई है. आईडीईए ने कहा कि वोटिंग में गिरावट से इलेक्‍शन की विश्वसनीयता को खतरा है और परिणामों पर विवाद बढ़ रहा है. संगठन ने कहा कि हर 3 में से एक चुनाव किसी न किसी तरह से विवादित हो रहा है. हालिया वेनेजुएला और अल्जीरिया में हुए चुनाव के परिणामों पर सवाल खड़े किए गए हैं. जहां वेनेजुएला की विपक्षी पार्टी नतीजों को नहीं मान रही थी और अमेरिका सहित कई देशों का उन्हें साथ मिला. वहीं अल्जीरिया में विपक्षी पार्टी के साथ ही जीतने वाले राष्ट्रपति तेब्बौने ने भी नतीजों पर सवाल खड़े किए.

लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव जरूरी

स्टॉकहोम स्थित IIDEA के महासचिव केविन कैसस-ज़मोरा ने कहा कि लोकतंत्र की बहाली के लिए चुनाव सबसे अच्छा मौका होता है लेकिन चुनाव ही असफल हो जाएं तो यह पूरी तरह से असंभव हो जाता है. कैसस-जमोरा ने कहा कि लोकतंत्र की सफलता कई चीजों पर निर्भर करती है, लेकिन इसमें निष्पक्ष चुनाव की अहम भूमिका होती है.

इंटरनेशनल आईडीईए ने कहा कि दुनियाभर के 158 देशों में लोकतंत्र की स्थिति पर इसके ग्‍लोबल रिपोर्ट ने पाया कि पिछले 5 साल में 47 प्रतिशत देशों ने प्रमुख लोकतांत्रिक संकेतकों में गिरावट दर्ज की है. दुनियाभर में साल 2020 और 2024 के बीच करीब 20 प्रतिशत चुनावों में, हारने वाले उम्मीदवारों या पार्टियों में से किसी एक ने नतीजों पर सवाल खड़े किए या फिर उसे खारिज कर दिया. यही वजह है कि कई जगहों पर कोर्ट द्वारा चुनाव में हार-जीत का फैसला किया जा रहा है.

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