Purulia Arms Drop Case: डेनमार्क की एक कोर्ट के फैसले से भारत को बड़ा झटका लगा है. यहां की अदालत ने 29 साल पुराने मामले के आरोपी नील्स होल्क के भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि नील्स होल्क को भारत में यातना का सामना करना पड़ेगा.
ये है पूरा मामला
दरअसल, मामला 1995 का है, जब पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक मालवाहक विमान से नील्स होल्क ने एसॉल्ट राइफल, रॉकेट लॉन्चर और मिसाइल गिराने की घटना में साथ दिया था. उसने यह बात खुद स्वीकार की थी. विमान से हथियार गिराए जाने के बाद एक ब्रिटिश नागरिक और पांच लातवियाई लोगों को भारतीय अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन इन सब के बीच होल्क भागने में सफल रहा.
फरार हो गया था होल्क
भारत ने सबसे पहले 2002 में डेनमार्क से होल्क के प्रत्यर्पण के लिए कहा था. सरकार सहमत हो गई थी, लेकिन डेनमार्क की दो अदालतों ने उसके प्रत्यर्पण को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसे भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का खतरा होगा. जून 2023 में, डेनमार्क ने फिर भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गौर किया और कहा कि प्रत्यर्पण अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा किया गया है.
भारत में जान को खतरा
वहीं, डेनमॉर्क अब की कोर्ट ने 29 साल पुराने मामले के आरोपी नील्स होल्क के भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया. डेनमार्क की अदालत ने कहा कि भारत के तरफ से दी गई अतिरिक्त राजनयिक गारंटी के बावजूद, यह जोखिम है कि होल्क को भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ेगा. 62 साल के होल्क ने कहा कि उसे डर है कि अगर उसे प्रत्यर्पित किया गया तो उसकी जान को खतरा हो सकता है. कोर्ट के फैसले की घोषणा से पहले होल्क ने बृहस्पतिवार सुबह डेनिश रेडियो डीआर से कहा था, ”मैं न्यायाधीश के सामने जवाबदेह ठहराया जाना चाहूंगा क्योंकि मेरा मानना है कि यह एक न्यायसंगत आपात स्थिति है.”