Doda Terror Attack: अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, जम्मू कश्मीर में नए नाम के साथ करवा रहा पुराने काम

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Doda Terror Attack: जम्मू-कश्मीर में आज फिर आतंकी हमला हुआ, जिसमें चार जवानों की शहादत हुई है. बीते एक महिने में हुआ ये सातवां आतंकी हमला है, जिसमें अब तक 12 जवान शहीद हो चुके हैं. खास बात तो ये है कि इन सभी आतंकी हमलों की जिम्मेदारी या तो कश्मीर टाइगर्स ने ली है या फिर द रेजिस्टेंस फ्रंट ने. यानी अब तक जम्मू-कश्मीर जो जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के निशाने पर रहता था, उनकी जगह अब कश्मीर टाइगर्स और द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ले ली है.

दरअसल, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने का फैसला किया गया. इस दौरान करीब दो साल के भीतर ही ऑपरेशन क्लीन चलाकर जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के करीब 500 आतंकियों का खात्मा किया गया. जिसके बाद एक तरह से घाटी में शांति आ गई. इसके साथ ही पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने लगा, क्योंकि मारे गए आतंकियों का पाकिस्तान के साथ सीधा संबंध था.

नाम बदले पर काम वही

बता दें कि पाकिस्तान ने अपने आतंकियों के नाम तो बदल दिए लेकिन काम अभी भी वही है. फर्क हैं तो बस इतना कि अब इन नए नाम वाले संगठनों के साथ जो आतंकी जुड़ रहे हैं, उनमें से कुछ कश्मीर के लोकल्स भी हैं, जिनका कोई पुराना आपराधिक इतिहास नहीं है. ऐसे में यदि ये आतंकी मुठभेड़ में मारे गए तब तो ठीक, वरना एक बार हमला करने के बाद ये भाग जाते है ऐसे में इनकी पहचान मुश्किल हो जाती है. और अगर ये पकड़े भी जाते हैं तो उनकी पहचान कश्मीरी के रूप में होती है, जिससे पाकिस्‍तान को अपने मसूबों में कामयाबी मिलती दिखती है.

जम्मू आतंकियों का अड्डा

वहीं, अब जम्‍मू कश्‍मीर से धारा 370 के हटने के बाद से घाटी में पाकिस्तान का नेटवर्क पूरी तरह तबाह हो गया है. ऐसे में उसने अपना पूरा ध्‍यान जम्मू पर रखा है. दरअसल, 90 के दशक में जम्मू आतंकियों का अड्डा हुआ करता था. हालांकि उस वक्‍त सेना ने उसे तबाह कर दिया था, लेकिन जो लोग बच गए, वो अब ओवर ग्राउंड वर्कर और स्लीपर सेल के तौर पर काम कर रहे हैं. क्‍योंकि उन्हें इस पूरे इलाके की जानकारी होने के साथ ही पहाड़ी में छिपने की पुरानी ट्रेनिंग है और वो अब वो अपनी इसी स्किल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके लिए पाकिस्तान उन्हें शह दे रहा है.

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