‘पाकिस्तान ऐसा कैंसर जो खुद को खा रहा है’ एस जयशंकर बोले- भारत गैर-पश्चिम हो सकता है, लेकिन पश्चि‍म विरोधी नहीं

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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EAM Jaishankar: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 19वें नानी ए पालखीवाला मेमोरियल व्याख्यान के दौरान टिप्पणी दी. इस दौरान उन्‍होंने पड़ोसी देश पाकिस्‍तान की तुलना कैंसर से कर दी. जयशंकर ने कहा कि कैंसर अब उसके अपने राजनितीक‍ शरीर को खा रहा है, जिसका असर भी अब दिखाई देने लगा है.

विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को लगातार समर्थन देने में अपवाद बना हुआ है. इसका असर अब पाकिस्तान की राजनीति पर भी दिखने लगा है. हालांकि पूरे उपमहाद्वीप के हित के लिए पाकिस्‍तान को ये हरकत करना बंद कर देना चाहिए.

हमें अपनी आतंरिक विकास में लानी होगी तेजी

इस दौरान उन्‍होंने भारतीय विदेश नीति के दायरे में शामिल क्षेत्रों के व्यापक विस्तार के बारे में बात की और पिछले दशक में कूटनीति के प्रति भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया. बाजार उपकरणों और वित्तीय संस्थानों के हथियारीकरण के कारण दुनिया के सामने आने वाली चुनौती पर प्रकाश डालते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के लिए चुनौती ऐसी अप्रत्याशित परिस्थितियों में अपना उत्थान करना है, जिसके लिए हमे अपने अपने आतंरिक विकास और आधुनिकीकरण दोनों में तेजी लानी होगी. साथ ही इसके बाहरी जोखिम को कम करना घरेलू स्तर पर राजनीतिक स्थिरता, व्यापक-आधारित और समावेशी विकास और निरंतर सुधारों के जरिए अच्‍छा किया जा सकता है. अर्थात विनिर्माण, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ-साथ गहरी ताकत का निर्माण करना हम और अधिक प्रतिस्पर्धी हैं.

दुनिया में भारत की छवि पर की टिप्‍पणी

एस जयशंकर ने रणनीतिक स्वायत्तता का आह्वान भी किया. उन्‍होंने कहा कि भारत को महत्‍वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास में पीछे नहीं रहना चाहिए. भारत गैर-पश्चिम हो सकता है, लेकिन इसके रणनीतिक हित यह सुनिश्चित करते हैं कि यह पश्चिम-विरोधी नहीं है. वहीं, दुनिया में भारत की छवि पर टिप्पणी करते हुए, विदेश मंत्री ने कहा कि खुलेपन की परंपरा पर आगे बढ़ते हुए, हम अपनी स्थिति को विश्वबंधु, एक विश्वसनीय भागीदार और भरोसेमंद मित्र के रूप में देखते हैं.

समस्‍याओं को खत्‍म करना हमारा प्रयास

उन्‍होंने कहा कि हमारा प्रयास दोस्ती को अधिकतम करना और समस्याओं को कम करना है. ऐसा भारत के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है. पिछले दशक ने दिखाया है कि कैसे कई मोर्चों पर प्रगति की जा सकती है, किसी को विशिष्ट बनाए बिना विविध रिश्तों को आगे बढ़ाया जा सकता है. ध्रुवीकृत स्थितियों ने विभाजन को पाटने की हमारी क्षमता को सामने ला दिया है.

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