Erasmus Award: भारत के प्रसिद्ध लेखक अमिताव घोष को जलवायु परिवर्तन पर लेखन के लिए इरास्मस पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. अमिताव घोष को यह पुरस्कार जलवायु परिवर्तन संकट के इर्द-गिर्द “अकल्पनीय की कल्पना” विषय पर उनके योगदान के लिए दिया जाएगा. मंगलवार को नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम के रॉयल पैलेस में भव्य पुरस्कार समारोह का अयोजन किया जाएगा.
इस समारोह में घोष को इरास्मस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. अमिताव घोष दक्षिण एशिया के पहले ऐसे शख्स होंगें, जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. बता दें कि अमिताव घोष का जन्म कोलकाता में हुआ था.
प्रीमियम इरास्मियनम फाउंडेशन’ ने किया ऐलान
प्रीमियम इरास्मियनम फाउंडेशन’ ने इस पुरस्कार के लिए अमिताव घोष को चुना है. अगले सप्ताह नीदरलैंड में होने वाले पुरस्कार समारोह से पहले घोष ने कहा कि मैं आशावाद और निराशावाद या आशावाद और निराशा के बीच के इस पूरे द्वैतवाद में बहुत विश्वास नहीं करता. मुझे लगता है कि भारतीय पृष्ठभूमि से होने के नाते मैं इन चीजों के बारे में कर्म और धर्म के संदर्भ में सोचता हूं.
उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि हालात चाहे कैसे भी हों यह हमारा धर्म है कि हम जो भी कर सकते हैं, करें. यह हमारा कर्तव्य है कि हम जो भी कर सकते हैं, करें और उन भयानक व्यवधानों को रोकने का प्रयत्न करें, जो भविष्य में हमारे सामने आने वाले हैं. उन्होंने कहा कि वह इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जिसे दशकों से चार्ली चैपलिन और इगमार बर्गमैन जैसे कलाकारों से लेकर ट्रेवर नोआ तक विभिन्न क्षेत्रों की महान हस्तियों को दिया गया है.
लेखक ने कही ये बात
बुक ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकेबल’ के लेखक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े मामलों से निपटने के लिए मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र अवसंरचना संधि (UNFCC) के तहत पक्षकारों के साथ मिलकर जिस तरह से काम किया जा रहा है वह बहुत ज्यादा असरदार नहीं है. उन्होंने कहा कि हम देख पा रहे हैं कि किसी तरह की कमी लाने या इसे सामूहिक समस्या के रूप में देखते हुए इससे निपटने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.
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